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“ये देखो विज्ञान आज कितनी तरक्की कर रहा है कितनी अद्दभुत मशीन बना डाली, पुरुष भी महसूस करके देख सकते हैं अब प्रसव वेदना को|" टाइम्स ऑफ़ इण्डिया में हेडिंग Chinese men get a taste of labor pain with a machine को पढ़ते हुए प्रोफ़ेसर बक्शी अपनी पत्नी से अचानक बोल उठे

”पापा क्या कभी कोई ऐसी मशीन भी बन पाएगी जो रेप के दर्द को भी पुरुष महसूस कर सकें” थोड़ी दूरी पर बैठी बेटी के अचानक इस प्रश्न ने पापा को अन्दर तक झिंझोड़ कर रख दिया बेटी के सिर पर हाथ फिराते हुए अपनी आँखों में आये  आँसुओं को छुपाने के लिए अन्दर चले गए|   

(मौलिक एवं अप्रकाशित)  

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Comment by rajesh kumari on July 31, 2015 at 10:14am

आ० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी,इस लघु कथा पर आपकी प्रतिक्रिया से अभिभूत हुई आपके इस मुखर अनुमोदन ने मेरा लिखना  सार्थक कर दिया दिल से बहुत- बहुत आभार आपका | 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 30, 2015 at 2:34pm

आदरणीया राज जी आपकी लघुकथाए हमेशा एक लम्बे अंतराल के बाद पढने को मिलती हैं ..लेकिन हर लघु कथा में इतने गहरी बात होती है की दिल में उतर जाती है ..इस कथा को पढ़कर सम्बेदन हीन में भी सम्बेदना जाग जायेगी ..कमाल की इस रचना के लिए ह्रदय से बधाई सादर


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Comment by rajesh kumari on July 29, 2015 at 5:06pm

विनय कुमार जी ,लघु कथा के मर्म को महसूस कर किये गए अनुमोदन हेतु आपका दिल से शुक्रिया | सच तो ये है कि जब अपनी बहू बेटी पर बीतती है तो महसूस होता है इस दुनिया के अधिकाँश लोगों की ऐसी ही मानसिकता है क्या करें बहुत कष्ट होता है ये सब पढ़ सुनकर 

दिल से आभार आपका 

Comment by विनय कुमार on July 29, 2015 at 3:40pm

रेप के दर्द को तो उस लड़की का पिता तो बखूबी महसूस करता है लेकिन उस पुरुष को क्या कहें जो यह अमानवीय कृत्य करता है | बहुत बेहतरीन लघुकथा इस संवेदनशील विषय पर , बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी.


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Comment by rajesh kumari on July 29, 2015 at 8:46am

लघु कथा के अनुमोदन के लिए दिल से आभार अर्चना त्रिपाठी जी .

Comment by Archana Tripathi on July 29, 2015 at 1:16am
अत्यंत चुभता हुआ प्रश्न बेटी द्वारा ।करारा प्रहार करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई राजेश कुमारी जी

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Comment by rajesh kumari on July 28, 2015 at 9:43pm

आ० नीता कसर जी ,आपका दिल से बहुत बहुत आभार |


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Comment by rajesh kumari on July 28, 2015 at 9:42pm

प्रतिभा पाण्डेय जी,आपको लघुकथा पसंद आई आपका दिल बहुत -बहुत शुक्रिया.  


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Comment by rajesh kumari on July 28, 2015 at 9:41pm

आ० विनोद खनगवाल जी,लघु कथा पर आपका मुखर अनुमोदन मुझे हर्षित करने के साथ इसके प्रति आश्वस्त भी कर रहा है आपका दिल से बहुत- बहुत आभार  आपका परामर्श स्वागत योग्य है इंग्लिश की पंक्ति को  हिंदी लिपी में कर दूँगी|

Comment by Nita Kasar on July 28, 2015 at 9:31pm
महिला मन की व्यथा कथा दर्शाती संवेदनशील कथा है आदरणीया राजेश कुमारी जी ।

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