For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रहें जो खुद मकानों में वो घर की बात करते हैं

जड़ों को काटने वाले शज़र की बात करते हैं.

 

जहाँ जिस थाल में खाते उसी को छेदते देखो

 रहें तन से इधर लेकिन उधर की बात करते हैं

 

लगे अच्छी उन्हें बस आग फिरते हैं लिए माचिस

अजब वो लोग हैं केवल समर की बात करते हैं.

 

छपी तस्वीर अखबारात में उस बाँध की देखो

गिरा वो चार दिन में ही अजर की बात करते हैं.

 

कदम सच्चे सिपाही के भला क्या रात रोकेगी

 हिफ़ाजत क्या करेंगे जो सहर की बात करते हैं

 

बनाते मूर्ख जनता को उगे मशरूम से बाबा

सदा अपनी दुआओं के असर की बात करते हैं

 

बनाते घोंसला देखो परिंदे चौंच से अपनी

 सबक उनके लिए है जो हुनर की बात करते हैं

 

कहाँ किसने वफ़ा की थी कहाँ किसने जफ़ा की थी

चलो छोडो नये अपने सफ़र की बात करते हैं

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 658

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 24, 2015 at 9:21am

महर्षि त्रिपाठी जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से बहुत -बहुत शुक्रिया  आपका| 

Comment by maharshi tripathi on July 23, 2015 at 10:44pm

जहाँ जिस थाल में खाते उसी को छेदते देखो

 रहें तन से इधर लेकिन उधर की बात करते हैं,,,,,,,बढ़िया आ. rajesh kumari  जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 23, 2015 at 9:06pm

आ० सुशील सरना जी ,बढ़िया शेर कोट किया है बधाई .आपको ग़ज़ल अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 23, 2015 at 9:05pm

राहुल दांगी जी ,आपका बहुत- बहुत शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 23, 2015 at 9:04pm

आ० रेखा मोहन जी ,इस होंसलाफ्जाई का दिल से शुक्रिया.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 23, 2015 at 9:03pm

शिज्जू भैया,ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार आपको कुछ शेर पसंद आये ,बाकि सहर वाले  शेर  पर जो मैं स्पष्टीकरण देना चाहती थी वो मिथिलेश जी ने दे दिया अब उस नजरिये से पढेंगे तो स्पष्ट होगा |

दुसरे शेर में थोड़ी सी तब्दीली कर रही हूँ शायद पहले से बेहतर लगे --

रहें तन से इधर मन से उधर की बात करते हैं

आपका तहे दिल से आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 23, 2015 at 8:57pm

विनय कुमार जी ,ग़ज़ल आपको पसंद आई तहे दिल से आभार| 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 23, 2015 at 8:56pm

मिथलेश भैया ,शेर दर शेर समीक्षा ने मेरा लेखन सार्थक कर दिया तथा आश्वस्त किया कि अशआर आपनी बात रखने में सफल हैं तहे दिल से बधाई | 

Comment by Sushil Sarna on July 23, 2015 at 5:46pm

बनाते घोंसला देखो परिंदे चौंच से अपनी
सबक उनके लिए है जो हुनर की बात करते हैं

वाह … आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत ही सुंदर भावों के अशआर बन पड़े हैं .... इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। इसी क्रम में एक शेर अर्ज़ है :

मिला न सके जो कभी नज़रों से नज़रें
वही बशर आज नज़र से बात करते हैं

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 23, 2015 at 5:20pm
बहुत सुन्दर गजल हुई है आदरणीया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service