For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"सुमन, गुरु जी के आशीर्वाद से तुम्हारा घर तो स्वर्ग बन गया है। अब गालियों की नहीं बल्कि सतसंग के भजनों की आवाजें आती रहती हैं।"
"हाँ बहन! सही कह रही हो" - सुमन ने सहमति जताते हुए कहा।- 'अब हकीकत भी कैसे बताए कि पहले पति की कमाई ठेके पर जाती थी और अब आश्रम में.....।'

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by maharshi tripathi on July 22, 2015 at 7:23pm

बहुत सुन्दर ,लघुकथा आ. Vinod Khanagwal जी ,बधाई आपको |

Comment by TEJ VEER SINGH on July 21, 2015 at 3:47pm

आदरणीय  विनोद जी,बहुत ही उमदा लघुकथा!नशे के कितने रूप होते हैं!सुंदर व्याख्या!हार्दिक बधाई!

Comment by Omprakash Kshatriya on July 21, 2015 at 12:10pm
आ विनोद जी
प्रभावशाली लघुकथा के लिए बधाई आप को ।
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 21, 2015 at 10:35am
सार्थक लघुकथा के लिये बधाई।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 20, 2015 at 10:40pm
लत या आदत किसी भी चीज हो जाये एक नशा ही बन जाती है, इसी अवधारण को मजबुत करती सुन्दर रचना। आद: विनोद भाई जी इस सार्थक लघुकथा के लिये सादर बधाई।
Comment by pratibha pande on July 20, 2015 at 10:34pm

बढ़िया  लघु कथा  विनोद जी ,  बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 20, 2015 at 10:23pm

नशा हो या लत कोई भी जो घर में आग लगाता हो वो बुरा ही है विषय को सार्थक करती प्रस्तुति सुन्दर लघु कथा ,हार्दिक बधाई आ० विनोद जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 20, 2015 at 5:57pm

आदरणीय विनोद जी नशा शीर्षक को सार्थक करती सफल लघुकथा हुई है. विडम्बना का स्वरुप बदला है मगर लत लगी हुई है. बहुत बढ़िया .....बल्कि शानदार.....प्रस्तुति ... हार्दिक बधाई ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय तिलक राज भाई , ओबीओ मंच  की मूल भावना को फिर से ताज़ा करने के लिए आभार आपका | आपकी…"
33 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ओ बी ओ  टीम प्रबंधन  के सभी आदरणीय  सदस्यों  को मेरा सादर…"
39 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर, इस पोस्ट की बहुत ज़रूरत थी। आपका हार्दिक आभार जो आपने स्पष्ट शब्दों में…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय तिलकराज कपूर सर, ओबीओ की मूल भावना को शब्द देने के लि हार्दिक आभार। वाकई एक व्यक्ति विशेष ने…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी सदस्यों को यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि यह पटल एक व्यवस्था है, व्यक्ति नहीं और किसी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale posted a blog post

मनहरण घनाक्षरी

रिश्तों का विशाल रूप, पूर्ण चन्द्र का स्वरूप,छाँव धूप नूर-ज़ार, प्यार होतीं बेटियाँ।वंश  के  विराट…See More
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा षष्ठक. . . . आतंक

दोहा षष्ठक. . . .  आतंकवहशी दरिन्दे क्या जानें , क्या होता सिन्दूर ।जिसे मिटाया था किसी ,  आँखों का…See More
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"स्वागतम"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a discussion

पटल पर सदस्य-विशेष का भाषयी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178 के आयोजन के क्रम में विषय से परे कुछ ऐसे बिन्दुओं को लेकर हुई…See More
13 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मैं नाम नहीं लूँगा पर कई ओबीओ के सदस्य हैं जो इस्लाह  और अपनी शंकाओं के समाधान हेतु…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बात ऐसी है ना तो ओबीओ मुझे सैलेरी देता है ना समर सर को। हम यहाँ सेवा भाव से जुड़े हुए…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service