For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निशा अपने सात साल के बेटे के साथ दिवाली की खरीदारी करके घर वापिस आ रही थी। रस्ते में कुछ बच्चे पटाखे जला रहे थे। सारे वातावरण में बारूद की गंध और धुँआ फैला हुआ था। अचानक उसके बेटे को तेज खाँसी शुरू हो गई और इतनी बढ़ गई कि वह बेहोश हो गया। लोगों ने मदद करके उनको जल्दी से हस्पताल पहुँचाया। थोड़ी देर बाद वह सामान्‍य हो गया।

"डॉक्टर साहब, मेरे बेटे को क्या हुआ था? चिंता की बात तो नहीं है ना?"- निशा ने घबराते हुए पूछा।

"हाँ, यह अब ठीक है, लेकिन चिंता की बात तो है। इसे साँस लेने में समस्‍या हुई थी। यह पटाखों के धुएँ के कारण हुआ है। इसे ऐसे धुएँ से दूर रखें।"-डॉक्‍टर ने सलाह दी।

"माँ, जब थोड़े से धुएँ के कारण मेरी ऐसी हालात हो गई, तो दिवाली पर तो ना जाने क्‍या होगा। तब तो कितने पटाखे जलाए जाते हैं?" बेटे ने साथ चलते हुए चिंतित स्‍वर में पूछा।

निशा ने एक नजर बेटे के चेहरे पर डाली और फिर अगले ही पल मन ही मन कुछ प्रण करके अपनी पटाखों की भरी थैली को कुड़ेदान के हवाले कर दिया। हस्पताल के सामने बनी बगिया में सिर उठाए सूरजमुखी जैसे उसे सलाम कर रहा था।

 

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 432

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 19, 2016 at 10:52am

वास्तविक मुद्दे को आपने उठाया है, हर नागरिक को अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी, इस लघुकथा के लिए बधाई आपको

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 18, 2016 at 9:51pm
बहुत बढ़िया विषय व कथानक पर बढ़िया प्रस्तुति। मेरे विचार से अंतिम अनुच्छेद प्रभावशाली नहीं हो सका है। पटाखों से भरी थैली कूड़ेदान में फेंकना दुर्घटना को न्यौता देने जैसा है, उचित नहीं है।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 18, 2016 at 5:34pm
वायु प्रदूषण बहुत विषय है , नई पीढ़ी के लिए तो और भी। एक प्रेरक प्रेरक लघु- कथा , बधाई , आदरणीय विनोद खगनवाल जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर, इस पोस्ट की बहुत ज़रूरत थी। आपका हार्दिक आभार जो आपने स्पष्ट शब्दों में…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय तिलकराज कपूर सर, ओबीओ की मूल भावना को शब्द देने के लि हार्दिक आभार। वाकई एक व्यक्ति विशेष ने…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी सदस्यों को यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि यह पटल एक व्यवस्था है, व्यक्ति नहीं और किसी…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale posted a blog post

मनहरण घनाक्षरी

रिश्तों का विशाल रूप, पूर्ण चन्द्र का स्वरूप,छाँव धूप नूर-ज़ार, प्यार होतीं बेटियाँ।वंश  के  विराट…See More
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा षष्ठक. . . . आतंक

दोहा षष्ठक. . . .  आतंकवहशी दरिन्दे क्या जानें , क्या होता सिन्दूर ।जिसे मिटाया था किसी ,  आँखों का…See More
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"स्वागतम"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a discussion

पटल पर सदस्य-विशेष का भाषयी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178 के आयोजन के क्रम में विषय से परे कुछ ऐसे बिन्दुओं को लेकर हुई…See More
12 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मैं नाम नहीं लूँगा पर कई ओबीओ के सदस्य हैं जो इस्लाह  और अपनी शंकाओं के समाधान हेतु…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बात ऐसी है ना तो ओबीओ मुझे सैलेरी देता है ना समर सर को। हम यहाँ सेवा भाव से जुड़े हुए…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय, वैसे तो मैं एक्सप्लेनेशन नहीं देता पर मैं ना तो हिंदी का पक्षधर हूँ न उर्दू का। मेरा…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, मैंने ओबीओ के सारे आयोजन पढ़ें हैं और ब्लॉग भी । आपके बेकार के कुतर्क और मुँहज़ोरी भी…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service