For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा- आग

बरसते पानी में काम को तलाशती हरिया की पत्नी गोरी को बंगले में कुत्ते को बिस्कुट खाते हुए देख कर कुछ आश जगी, ‘ यहाँ काम मिल सकता है या खाने को कुछ. इस से दो दिन से भूखे पति-पत्नी की पेट की आग बुझ  सकती थी.’

“ क्या चाहिए ?”

“ मालिक , कोई काम हो बताइए ?”

“ अच्छा ! कुछ भी करेगी ?” संगमरमरी गठीले बदन पर फिसलती हुई चंचल निगाहें उस के शरीर के रोमरोम को चीर रही थी.

“ जी !! ” वह धम्म से बैठ गई. उसे आज महसूस हुआ कि बिना तन की आग बुझाए पेट की आग नहीं बुझ सकती है उसे पेट की आग बुझाने के लिए तन की आग में जलने होगा .  

------------------------------

मौलिक व अप्रकाशित 

२८/०९/२०१५ 

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on July 8, 2015 at 7:09am

आदरणीय Saurabh Pandey जी आप की सराहना के लिए दिल से आभार .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 2:09am

सही है. इस प्रयास पर हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 8:49am

आदरणीय maharshi tripathi जी आप

लघुकथा पर आप की यथार्थ दृष्टिकोण के  लिए हृदय से आभार .

Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 8:47am

आदरणीय  krishna mishra 'jaan'gorakhpuri  जी आप

ने लघुकथा को सुंदर कह दिया. मेरी मेहनत सफल हो गई .

इस प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार .

Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 8:46am

आदरणीय  Dr Ashutosh Mishra जी आप की प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ .

Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 8:45am

आदरणीय  Shyam Narain Verma जी आप की प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ .

Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 8:44am

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी

प्रणाम .

आप की प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार .

Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 8:42am

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी आप ने बहुत बढ़िया बात की है

आप ने त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाया .

आभार आप का 

 

Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 8:39am

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी आप ने बहुत बढ़िया बात की है

आप ने त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाया .

आभार आप का 

भविष्य में भी इसी तरह मेरा सहयोग करते रहे.

Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 8:37am

आदरणीय  vinaya kumar singh जी आप ने बहुत बढ़िया बात की है .त्रुटिया वास्तव में बहुत खटकती है . पर , कभीकभी गूगल अनुवाद गड़बड़ कर जाता है .

आभार आप का 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service