For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उड़ान : लघु कथा- हरि प्रकाश दुबे

“सुनंदा .सुनंदा, सुन तो सही, इतनी उदास क्यों है?”

“कुछ नहीं माँ बस सर में थोडा दर्द है !”

“अच्छा ठीक है तू नहा कर आ मैं तेरे सर की मालिश कर देती हूँ !”

“तुम भी न माँ हर बात के पीछे ही पड़ जाती हो .... सुनंदा ने चिल्लाते हुए कहा !”

“तेरी रगों में मेरा ही खून दौड़ रहा है सुनंदा, मैं सब समझ रहीं हूँ, तूने अपने पिता की म्रत्यु के बाद उनके दवाई बनाने के कारखाने को इतने अच्छे से संभाला, कभी भी तूने मुझे उनकी कमी महसूस नहीं होने दी, आज अगर वो जिन्दा होते तो भी क्या तू ऐसे ही मुझ पर चिल्लाती ? जरूर कोई परेशानी है ,बता तो सही क्या बात है ?” सुनंदा अब माँ को पकड़ कर रोने लगी , उसका पूरा आँचल भिगो दिया और बोली , ‘माँ एक बहुत बड़ी फार्मा कंपनी का आर्डर था ,हमने पूरा भी किया, पर कुछ खराबी के कारण सारा माल रिजेक्ट हो गया बहुत नुक्सान हो गया है और अगर यह बात बाज़ार में फैल गयी तो मेरे पिता और  कंपनी की साख धूल में मिल जायेगी और आगे से लोग काम देना बंद कर देंगें साथ ही लोगों की देनदारी और कर्मचारियों की तनख्वाह ..बस चार महीने में सब खत्म हो जायेगा !’.... माँ के चेहरे पर चिंता के भाव उभरे और खत्म हो गये ,बोलीं “बस इतनी से बात से घबरा गयीं, अरे एक छोटा सा पक्षी भी जब उड़ान भरना सीखता है तो कई बार गिरता है और तू तो उड़ान भर रही है ,कल सबसे पहले उस कंपनी के लोगों से बात कर की हम आपका आर्डर पूरा करेंगे और ये ले मेरी चेक बुक ,कल एक नयी गाडी खरीद ले , ड्राईवर को साथ ले जाना और वो जो इंडस्ट्रियल एरिया में अपना खाली प्लाट पड़ा है उसका नक्शा बनवा, भूमि पूजन का प्रबन्ध कर सभी जानकार उद्योगपतियों को किसी प्रतिष्ठित होटल के सभागार में भोजन पर आमंत्रित कर और बता एक शानदार प्रोजेक्ट हमारी कंपनी लगाने जा रही है !”

“माँ ,ये गलत सलाह है, इससे तो हम और ... !”.. “ अच्छा अब सही और गलत तू मुझे सिखाएगी , जैसा कह रही हूँ वैसा कर, और हाँ सभी कर्मचारियों को एक महीने की तनख्वाह एडवांस दे दे  !”

सुनंदा ने ठीक वैसा ही किया, सब जगह यह सन्देश चला गया की यह कम्पनी उगता हुआ सूरज है और उसके बाद सप्लायर्स, कॉन्ट्रैक्टर्स की लाइन लग गयी, सभी कहते मैडम हमको एक बार सेवा का मौका दीजिये ,सुनंदा पैसे की बात करती तो लोग कहते मैडम पैसे तो आ ही जायेंगे ! नए- नए ऑर्डर्स भी आने लग गए अब हवा का रुख बदल चुका था, सुनंदा और उसकी माँ दोनों खुश थे , सुनंदा  माँ को लेकर उसी पहाड़ी के ऊपर पहुँच गयी जहां बचपन मैं वह अपने पिता के साथ जाती थी ! वह एक बार फिर सबसे ऊंची चट्टान पर चढ़कर बादलों को छूने की कोशिश करने लगी ,एक नयी उड़ान के लिए !

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित”      

 

 

 

Views: 772

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 1:47am

यह कहानी बहुत ही प्रेरक है. अनुभव और अदम्य साहस के दम पर कुछ हासिल नहीं किया जा सकता !

हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय हरि प्रकाशजी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 1, 2015 at 6:31pm

आदरणीय हरि भाई , मुझे आपकी कथा अच्छी लगी , उम्र के साथ आया अनुभव काम ही आता है और उसका कोई तोड़ नही होता ! आपको बधाई ।

Comment by shree suneel on June 28, 2015 at 7:41pm
आदरणीय हरि प्रकाश जी, अच्छी लघु-कथा हुई.. . प्रवाहपूर्ण. . साथ हीं आ. ड०गोपाल सर से भी सहमत हूँ.
बधाई आपको इस प्रस्तुति पर.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 28, 2015 at 12:38pm

आ० दुबे जी

यह पूरी कथा का विषय है  थोडा और लम्बी होती तो  और अच्छी बनती. सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 28, 2015 at 4:54am

बढ़िया कथा लिखी है  आदरणीय हरि प्रकाश भाई जी, बहुत बहुत बधाई

Comment by kanta roy on June 27, 2015 at 12:32pm
गिरते उठते हुऐ मन का ...सम्बल का ..उड़ान नये हौसलों का ...राह में मुश्किलें आती ही है गर परवाज का अंदाज़ अनोखा हो ... आसमान उन्हीं को मिलता है जो मुश्किलों से भी यारी निभा जाते है । अनुभव और हौसलें की संगम की बहुत ही खूबसूरत कथा लिखी है आपने आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी .... बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service