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हवा में यूँ तोते उड़ाया न कर(ग़ज़ल 'राज')

१२२ १२२ १२२ १२

मिला कीमती वक़्त जाया न कर

बुरी बात होंठों पे लाया न कर

 

बड़ी जितनी चादर उसी में सिमट    

तू ये नाज़ नखरे दिखाया न कर

 

कभी वो तेरा हाथ देंगे मरोड़

किसी को तू ऊँगली दिखाया न कर

 

अदब से कहेगा सुनेंगे सभी

सुलगती  जुबाँ से सुनाया न कर

 

तवा गर्म है सब्र से काम ले

इन हाथों को अपने जलाया न कर

 

सही है अगर तू दिखा तो सबूत

हवा में यूँ तोते उड़ाया न कर

 

सभी खोलता “राज’ पैकर तेरा  

कोई बात दिल में छुपाया न कर

 

बहुत चोट लगती तुझे क्या पता

किसी को नजर से गिराया न कर

 

बुलंदी का रस्ता जहाँ बंद हो

उधर पाँव अपने बढ़ाया न कर  

-----------

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Comment by Rahul Dangi Panchal on June 14, 2015 at 10:12pm
सुन्दर गजल हुई बधाई हो आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2015 at 6:16pm

विनय कुमार सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से आभार आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2015 at 6:15pm

आ०  वीनस  जी, आपकी सराहना ने आश्वस्त किया आपका परामर्श स्वागत योग्य है जिस भाव से मैं कहना चाह रही थी वही भाव बरकरार रहेगा फज़ा करने से भी अच्छा शब्द सुझाया बहुत बहुत शुक्रिया आपका.   


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2015 at 6:13pm

राम अश्रेय जी .आपका बहुत- बहुत शुक्रिया. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2015 at 6:12pm

आ० डॉ०  गोपाल  भाई जी ,ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ दिल से आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 14, 2015 at 6:11pm

आदरणीया राजेश जी , बेहतरीन गज़ल हुई  है , आपको हार्दिक बधाइयाँ । आदरणीय वीनस भाई के सुझाये परिवर्तन से शे र और बढ़िया हो जायेगा ।

Comment by विनय कुमार on June 14, 2015 at 3:19pm

// बहुत चोट लगती तुझे क्या पता
किसी को नजर से गिराया न कर // , वाह , वाह । बेहतरीन पंक्तियाँ , सादर बधाई क़ुबूल करें आदरणीया..

Comment by वीनस केसरी on June 14, 2015 at 3:01pm

बहुत शानदार ग़ज़ल है ...

तवा की जगह फज़ा करके देखें ... शायद अधिक पसंद आये

Comment by Ram Ashery on June 14, 2015 at 3:00pm

बधाई हो बहुत अच्छी रचना मन को छु लिया  है 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 14, 2015 at 12:24pm

आ० दीदी

बहुत उम्दा गजल . बेहतरीन  सादर .

कृपया ध्यान दे...

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