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पिघलता ग्लेसियर ( लघुकथा )

" क्यों नहीं हो सकता ये , मैं रह सकती हूँ तुम्हारे घर तो तुम क्यों नहीं रह सकते मेरे घर शादी के बाद "|
" लेकिन लोग क्या कहेंगे , घर जमाई बन गया | मेरे घरवाले भी तो तैयार नहीं होंगे "|
" जब मुझसे शादी का फैसला किया था , तब क्या लोगों की परवाह की थी तुमने | और तुम्हारे घर तो भैया का परिवार है ही , मैं तो एकलौती लड़की हूँ अपने पेरेंट्स की , उनको कैसे अकेला छोड़ दूँ "|
" ठीक है , मैं घर में बात करता हूँ | क्या हम लोग आते जाते नहीं रह सकते "|
" आते जाते तो हम लोग यहाँ से भी रह सकते हैं , तुम्हें यहाँ रहने में क्या दिक्कत है । हमारी गैरहाजिरी में अगर उनको कुछ हो गया तो , आखिर उनका ध्यान रखना भी तो हमारा दायित्व है "|
" ठीक है , मैं कोशिश करता हूँ "|
" सीधे सीधे क्यों नहीं कहते कि तुम्हारा मेल ईगो आड़े आ रहा है "|
वो निरुत्तर हो गया , बात ने कहीं न कहीं गहरे असर किया था । शायद ग्लेसियर पिघल रहा था ।
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on June 13, 2015 at 1:49pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी । सादर धन्यवाद ..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 13, 2015 at 12:58pm

सुन्दर  और सार्थक  कथा ! एक गंभीर सोच को सामने लाती रचना ... सादर बधाई  आदरणीय विनय कुमार जी 

Comment by विनय कुमार on June 11, 2015 at 11:49pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया सुनील प्रसाद(शाहाबादी) जी.

Comment by विनय कुमार on June 11, 2015 at 11:49pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया कान्ता रॉय जी..

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on June 11, 2015 at 11:21pm
बहुत ही सार्थक एवं गंभीर चिंतन।
Comment by kanta roy on June 11, 2015 at 10:54pm
शायद ग्लेशियर पिघल गया ....... बेहद सार्थक लघुकथा बनी है सर जी ...... बधाई आपको
Comment by विनय कुमार on June 11, 2015 at 9:38pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया रीता गुप्ता जी.

Comment by Rita Gupta on June 11, 2015 at 5:43pm

  शीर्षक और कथा दोनों ही बेहद ख़ूबसूरत .मुद्दा आपने बहुत जायज सा उठाया है ,बदलाव की बयार अब वांछनीय है .

Comment by विनय कुमार on June 11, 2015 at 12:27pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 11, 2015 at 11:15am

बात ने कहीं न कहीं गहरे असर किया था । शायद ग्लेसियर पिघल रहा था ।---------------आज के प्रासंगिक विषय पर आपन बहुत अच्छे कथा प्रस्तुत की . सादर.

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