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नैतिक शिक्षा ( लघुकथा )

" मम्मी , आज तो बहुत आसान टास्क मिला था मुझे स्कूल में ", मन्नू बोला ।
" अच्छा , क्या था , जरा मैं भी सुनूँ "।
मन्नू ने चहकते हुए कहा " घर की सबसे यूज़फुल और सबसे यूज़लेस चीज़ लिखना था "।
" सबसे यूज़फुल तो आप ही हो मम्मी "|
" और सबसे यूज़लेस चीज़ तो आपने कितनी बार बताया है ", दरवाजे पर स्तब्ध खड़े दादाजी अपनी उपयोगिता समझ गए थे ।
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on July 5, 2015 at 12:07pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गणेश जी बागी जी , आप सचमुच सौभाग्यशाली हैं..

Comment by विनय कुमार on July 5, 2015 at 12:06pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 4, 2015 at 10:49pm

आदरणीय विनय कुमार जी, यह प्लाट अब बहुत ही घिसा पिटा सा हो गया है, सच कहूँ तो अब इस तरह की कहानियाँ प्रभावित नहीं करती. एक बात और ...शायद यह मेरा सौभाग्य है कि मैं अब तक के जीवन में किसी भी घर में बुजुर्गों को अनुपयोगी समझते नहीं देखा हूँ. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2015 at 10:20pm

यह तो एक रुटीनी कथ्य हो गया है. अभी थोड़ी देर पहले एक और लघुकथा इन्हीं विन्दुओं के ग़िर्द पढ़ कर आ रहा हूँ.

प्रस्तुति और उपस्थिति भी अत्यंत आवश्यक हैं. इस हेतु हार्दिक बधाई, आदरणीय

Comment by विनय कुमार on June 25, 2015 at 10:08pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथलेश वामनकर जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 2:52am

बहुत बेहतरीन लघुकथा हुई है  आदरणीय विनय जी. बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर

Comment by विनय कुमार on June 18, 2015 at 1:52pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय शुभ्रांशु जी..

Comment by Shubhranshu Pandey on June 18, 2015 at 1:46pm

आदरणीय विनय जी 

सुन्दर कथा. 

सादर.

Comment by विनय कुमार on June 15, 2015 at 2:40am

बहुत बहुत आभार आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी..

Comment by Archana Tripathi on June 15, 2015 at 1:59am
आपकी रचना हमारे संस्कारों के होते निम्न स्तर को दर्शा रही हैं ।बधाई आपको

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