For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुंह देखते हैं मेरा हुनर देखते नहीं

मफ़ऊल फ़ाइलात मफ़ाईल फ़ाइलुन/फ़ाइलान


मुंह देखते हैं मेरा हुनर देखते नहीं
हर दिल पे हो रहा है असर देखते नहीं

दीवाने अपने हाल से रहते हैं बेख़बर
किस सम्त हो रहा है सफ़र देखते नहीं

उर्यानियत के खेल इन्हें भी पसंद हैं
ख़ामोश हैं ये एहल-ए-नज़र देखते नहीं

वो देश हित की फ़िक्र में ग़लताँ हैं आज कल
ये और बात है कि इधर देखते नहीं

अंजान बन के पूछ रहे हो कि क्या हुवा
अख़बार में छपी है ख़बर देखते नहीं

कुछ देर और सब्र का दामन न छोड़ना
वो सामने खड़ी है सहर देखते नहीं

हर लम्हा जिन को इज़्ज़त-ओ-ग़ैरत का पास है
पगड़ी को देखते हैं वो सर देखते नहीं

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 830

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on June 8, 2015 at 3:14pm
इस खूबसूरत ग़ज़ल की राह में ये खाकसार दो फूल मुहब्बत के चढ़ाता है
सादर बधाई
Comment by shree suneel on June 8, 2015 at 2:46pm
कमाल के अशआर.. ख़ूब ख़ूब ख़ूब ग़ज़ल कही आपने आदरणीय समर कबीर सर. झूमा दिया आपने.
"कुछ देर और सब्र का दामन न छोड़ना
वो सामने खड़ी है सहर देखते नहीं".. क्या कहने..
"मुंह देखते हैं मेरा हुनर देखते नहीं
हर दिल पे हो रहा है असर देखते नहीं"... उम्दा.. उम्दा
"हर लम्हा जिन को इज़्ज़त-ओ-ग़ैरत का पास है
पगड़ी को देखते हैं वो सर देखते नहीं"... क्या बात है!
इस शानदार.. ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए तहेदिल से मुबारकबाद पेश है
Comment by maharshi tripathi on June 8, 2015 at 2:31pm
वो देश हित की फ़िक्र में ग़लताँ हैं आज कलये और बात है कि इधर देखते नही...
हर लम्हा जिन को इज़्ज़त-ओ-ग़ैरत का पास हैपगड़ी को देखते हैं वो सर देखते नही......waah bahut khoob...aa. samar kabeer ji......shandaar....
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 8, 2015 at 2:23pm

आदरणीय समर कबीर साहब,नमस्कार, बहुत खूबसूरत, ग़ज़ल बनी है,
"पगड़ी को देखते हैं वो सर देखते नहीं"
बधाई, सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 8, 2015 at 2:15pm

वाह समर साहिब

कमाल है
 हर लम्हा जिन को इज़्ज़त-ओ-ग़ैरत का पास है
पगड़ी को देखते हैं वो सर देखते नहीं

Comment by Shyam Narain Verma on June 8, 2015 at 11:48am
इस खूबसूरत रचना के लिये दिली दाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, अभिवादन एवं हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई दयाराम जी, हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service