For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऊंचाई (लघु कथा)

लघु कथा - ऊंचाई

''पापा पापा जल्दी आओ, आफिस में देर हो रही है। ''
'' ओफ्फो ! एक मिनट तो रुको। ज़रा चप्पल तो पहन लूँ। द्वारका प्रसाद ने घर भीतर से आवाज़ दी। ''
''आ गया आ गया मेरे बेटे। ''
''इतनी देर कहाँ लगा दी पापा आपने। "
''वो बेटे पहले तो चप्पल नहीं मिली और मिले तो पहनते ही उसका स्टेप निकल गया बस इसी में थोड़ी देर हो गयी। द्वारका प्रसाद ने आँखों के चश्मे को ठीक करते हुए कहा। ''
''राहुल ने चमचमाती नयी गाड़ी का दरवाजा खोला और कहा चलो जल्दी बैठो। ''
वृद्ध द्वारका प्रसाद अपने हाथ की छड़ी संभाली और जैसे ही कांपते हुए भीतर बैठने लगे बेटे ने वक्र दृष्टि से पिता के लिबास ,पाँव में रबड़ की चप्पल,हाथ में छड़ी को निहारा और थोड़ी नाराज़गी भरी शब्दों में कहा -''पापा आप ढंग के कपड़े तो पहन लेते और ये छड़ी भी साथ लेकर चलेंगे क्या ? पापा ! चप्पल की मिट्टी तो झाड़ लो जरा ,नयी कार की मेट खराब हो जाएगी। "
''अरे हाँ हाँ, सॉरी बेटा, अभी चप्पल से मिट्टी झाड़ देता हूँ वरना बेवजह तेरी कार की मेट खराब हो जाएगी। ''
चप्पल से मिट्टी झाड़ कर द्वारका प्रसाद अनमने मन से कार की नयी सीट पर किसी अजनबी की तरह बैठ गए। समझ नहीं आ रहा था बेटे की ऊंचाई पर गर्व करूँ या अपने संस्कारों पर शर्मिंदा होऊं। अपने बेटे का गोदी से आज तक का सफर एक चलचित्र की भांति आँखों में घूम गया।कल की तरह उसके थ्री पीस सूट के लिए मैंने अपने लिबास को खो दिया। उसके पाँव में चमचमाते जूते रहें इसीलिये अपनी चप्पल से हरदम प्यार किया। कोई दुःख न पहुंचे बेटे को इसलिए छड़ी के सहारे को स्वीकार किया। पास होने के बावज़ूद भी उसके बड़बड़ाने की आवाज ऐसा लगता था जैसे बहुत दूर से आ रही हो। चश्मा साफ़ था लेकिन गीली आँखों से सड़क धुंधली नज़र आ रही थी। चमचमाती गाड़ी की खुशी से राहुल का चेहरा चमक रहा था पर इस मक़ाम तक पहुंचाने वाले द्वारका प्रसाद का झुका चेहरा कार के ऐ सी में भी पसीने  से भीगा था।

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1214

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 4, 2015 at 12:50pm

आदरणीय सौरभ जी आपके अमूल्य सुझाव सदा मेरे सृजन में निखार लाते रहे हैं। आपके द्वारा बताये गए लिंक का मैं अवश्य लाभ लूँगा। आपका हार्दिक आभार। कृपया स्नेह बनाये रखें। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2015 at 9:04pm

आदरणीय सुशील सरनाजी, जैस कि मैंने पिछली टिप्पणी में निवेदन किया है, लघुकथा आकार में छोटी कहानी नहीं होती. आप इस तथ्य पर गहनता से सोचें.
लघुकथाओं की विन्दुवत जानकारी इस लिंक पर सहज ही प्राप्त कर सकते हैं.

http://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:637805

आप उपर्युक्त लिंक का आलेख एक बार ढंग से पढ़ जायें. अवश्य ही बहुत कुछ स्पष्ट होगा.
सादर

Comment by Sushil Sarna on July 3, 2015 at 8:56pm

आदरणीय सौरभ जी आपके द्वारा की गयी समीक्षा के आधार पर मुझे ये आभास हो गया है कि प्रस्तुति में अनचाहे विस्तार ने इसे कहानी का रूप दे दिया है।  इतना तो मुझे भान है कि कम शब्दों में कही बात का सार तीक्ष्ण होना चाहिए। अब तो अगली बार ही देखेंगे।  आपकी स्नेहमयी उपस्थिति का हार्दिक आभार।  कृपया स्नेह बनाये रखें। 

Comment by Sushil Sarna on July 3, 2015 at 8:52pm

आदरणीय मिथलेश वामनकर जी रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति का हार्दिक आभार। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2015 at 1:17am

बहुत ही भावमय होने के बावज़ूद यह प्रस्तुति लघुकथा नहीं है आदरणीय सुशील सरनाजी.
लघुकथा वस्तुतः छोटे आकार की कहानी नहीं होती. इसका तेवर या विन्यास एक लमहे का विस्तार होता है. या किसी घटना के क्रम की भाव-व्याख्या होती है.
आपकी प्रस्तुति एक छोटी कहानी है. लघुकथा एक विशेष विधा है.
विश्वास है, आप इस अंतर को अब स्वीकार कर रचनाकर्म में सकारात्मक प्रभाव पैदा करेंगे.
सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 1:26am

आदरणीय सुशील सरना सर, बहुत ही सटीक लघुकथा हुई है 

इस सफल लघुकथा पर हार्दिक बधाई निवेदित है 

Comment by Sushil Sarna on June 10, 2015 at 11:44am

आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता  जी लघु कथा के मर्म पर आपकी ऊर्जावान  प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 10, 2015 at 11:43am

आदरणीया कान्ता रॉय  जी लघु कथा के मर्म पर आपकी मधुर प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 10, 2015 at 11:42am

आदरणीय विजय निकोर  जी लघु कथा के मर्म पर आपकी मधुर प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 10, 2015 at 11:41am

आदरणीय राजेश कुमारी जी लघु कथा के मर्म पर आपकी मधुर प्रशंसा मेरे लेखन को प्रोत्साहित करती है।  आपका हार्दिक आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service