For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नसरी नज़्म :- "शाईरी"

शाईरी
सिर्फ़ ग़ज़ल का नाम नहीं
इसके अनेक रूप हैं
कहीं साया कहीं धूप है
शाईरी
सुक़रात ने की,मीरा ने की
मज़दूर ने की,धनवान ने की
इसमें क़ाफ़िया लाज़िम नहीं
इसमे बह्र भी लाज़िम नहीं
आप जो ख़ूबसूरत बाते करते हैं
वो शाईरी है
शाईरी नज़ाकत का नाम है
इससे सबको काम है
शाईरी के लिये लाज़िम है अहसास
दर्द भरा दिल,जैसे बिस्मिल
सब शाईर के हैं
शाईर सबका होता है
जैसे भगवान सब का होता है
शाईरी सिर्फ़ ग़ज़ल का नाम नहीं
शाईरी
क़सीदा है,मर्सिया है
अतुकान्त कविता है
मुक्तक है,आज़ाद नज़्म है
नसरी नज़्म है
गीत है,संगीत है
दोहा है,रुबाई है
छंद है,तज़्मीन है
शाईरी को समझो
शाईर को समझो
उसके अहसास को समझो
वो सबका दर्द बयान करता है
वो अपनी शाईरी से
सबका मन मोह लेता है
शाईरी शब्दों का जाल है
जिसके पास ज़्यादा शब्द वह मालामाल है
शाईरी सिर्फ़ ग़ज़ल का नाम नहीं |

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1319

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 23, 2015 at 10:37am
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 22, 2015 at 10:56pm

आपकी नज्म खूब सुन्दर हुई है विलम्ब से देख पाया. हार्दिक बधाई 

Comment by Samar kabeer on April 20, 2015 at 6:37pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,रचना में आपकी शिर्कत का इन्तिज़ार था, हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ|

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 20, 2015 at 3:07pm

आदरणीय समर भाई , रचना मे शायरी बहुत सुन्दरता से परिभाषित हुई है ॥ दिली मुबारक बाद  स्वीकार करें ॥

Comment by Samar kabeer on April 20, 2015 at 10:16am
जनाब "जान" गोरखपुरी साहिब ,आदाब,रचना में आपकी शिर्कत हो गई लिखना सार्थक हुवा,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 19, 2015 at 8:16pm

लाजव़ाब!! आदरणीय मै आपकी बात से सर्वथा सहमत हूँ!

Comment by Samar kabeer on April 19, 2015 at 10:24am
जनाब श्री सुनील जी,आदाब,ऐसी रचनाओं पर लोगों की रूची कम होती है,आपको मेरी रचना से बल मिला,लिखना सार्थक हुवा,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on April 19, 2015 at 10:17am
जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब, ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on April 19, 2015 at 10:14am
आली जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by shree suneel on April 18, 2015 at 5:43pm
आदरणीय समर कबीर सर, आपकी ये ख़ूबसूरत नज़्म पढ़ कर मेरे ख़्याल को बल मिला.
/आप जो ख़ूबसूरत बाते करते हैं
वो शाईरी है
शाईरी नज़ाकत का नाम है
इससे सबको काम है...
बहुत बढि़या. बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
21 hours ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service