For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :-एक चहरे में दूसरा क्या है

बह्र :- फ़ाईलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन

आईनागर ज़रा बता क्या है
एक चहरे में दूसरा क्या है

आग गुलज़ार कैसे बनती है
देखना है तो सोचता क्या है

किस लिये हम से पूछता है नदीम
तू नहीं जानता,हुवा क्या है

क्या छुपा कर रखा है सीने में
और होटों से बोलता क्या है

दिल को छू जाए तो ये जादू है
वरना आवाज़ में धरा क्या है

आईने की तरह चमकती है
हम बताऐं तुम्हें वफ़ा क्या है

दोनों बर्बाद हो गए देखो
दुश्मनी के लिये बचा क्या है

मैं हूँ दीवाना और तू हुश्यार
मुझ से तेरा मुक़ाबला क्या है

ख़ुद को "ग़ालिब" समझ रहा है "समर"
"या इलाही ये माजरा क्या है"

"समर कबीर"
(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 1694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 23, 2015 at 10:38am
जनाब सौरभ पाँडे जी,आदाब,आपकी शिर्कत ग़ज़ल में हो गई लिखना सार्थक हुवा,हौसला अफ़ज़ाई के लिये दिल से शुक्रगुज़ार हूँ|

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 23, 2015 at 12:00am

इस गज़लके लिए दिल से दाद कुबूल फ़रमायें मो समर कबीर साहब

 

Comment by Samar kabeer on April 22, 2015 at 2:56pm
जनाब डा.आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on April 22, 2015 at 2:53pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी,आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on April 22, 2015 at 2:51pm
जनाब जितेन्द्र पस्टारिया जी,आदाब,ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on April 22, 2015 at 2:49pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 22, 2015 at 1:41pm

आदरणीय समर कबीर जी ..इस शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 22, 2015 at 10:32am

बड़ी ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है जनाब समर साहब।

दोनों बर्बाद हो गए देखो
दुश्मनी के लिये बचा क्या है

ये शे’र बड़ा ही ख़ूबसूरत और बार बार कोट करने लायक है। बारंबार दाद कुबूल कीजिए।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 22, 2015 at 10:11am

खूबसूरत गजल ,आदरणीय समर साहब. हर शेर तारीफ़ के काबिल हुआ, दिली बधाई कुबूल करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 21, 2015 at 10:47pm
आदरणीय समर कबीर जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई है दिल से दाद कुबूल फरमाएं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service