For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज फिर से बादल , मौसम को ई का हो गया है , रामदीन सोच में डूब गया | आधे से ज्यादी फसल तो पहले ही चौपट हो गयी है , ऊपर से अगर घाम न हुआ तो पकेगी कैसे बची खुची फसल | कुछ समझ नहीं आ रहा था उसको | थोड़ी देर बाद वो उठा और कुम्हार टोला की ओर निकल गया | वहां रघू भी अपने सर पर हाँथ रख कर बैठा था , उसे देखते ही बोला " अरे ई मौसम को का हो गवा है , एकदम समझ नहीं आवत है एकर मिज़ाज़ | बर्तन तो तैयार ही नहीं हो पावत हैं , कइसे दो जून की रोटी का इंतज़ाम होई "|

कोई जवाब नहीं था उसके पास , चुपचाप उठा और वापस खेत की ओर निकल पड़ा | पगडण्डी गीली थी और उससे ज्यादा गीला था उसका मन | कइसे होगा इस बार सबके लिए भोजन का इंतज़ाम , अगली फसल के लिए भी तो खाद , बीज लेना है | इन्ही विचारों से जूझता हुआ वो अपने खेत पहुंचा तो सन्न रह गया | एक बछिया उसके खेत में घुस के बची खुची फसल चबा रही थी | मन एकदम से क्रोध से भर गया उसका और पास पड़ी ईंट उठाकर उसने पूरी ताक़त से बछिया को मारा | ईंट सीधी उसके सर पर लगी और वो दो चार कदम दौड़ कर उसके खेत में ही गिर पड़ी | उसके गिरते ही रामदीन की चेतना जागी , वो भाग कर बछिया के पास पहुंचा , पर वो तो मुंह से खून उगलती मृतप्राय हो गयी थी |

अब क्या हो , गौ हत्या का पाप लग जायेगा उसके ऊपर | सर पकड़ कर वो बछिया के पास बैठ गया । अचानक बछिया ने आखिरी हिचकी ली और रामदीन उसको देखते हुए फफक कर रो पड़ा |  

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 452

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on April 17, 2015 at 10:21am

बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी ।

Comment by विनय कुमार on April 17, 2015 at 10:20am

बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारीजी ।

Comment by विनय कुमार on April 17, 2015 at 10:19am

बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी ।

Comment by विनय कुमार on April 17, 2015 at 10:19am

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी । आप ठीक कह रहे हैं की ईंट के एक वार से बछिया का मर जाना थोड़ा अस्वाभाविक लगता है , लेकिन छोटी बछिया मर सकती है ऐसे वार से । आपका दिल से आभार ..

Comment by विनय कुमार on April 17, 2015 at 10:15am

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्माजी ..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2015 at 7:54pm

बहुत सुंदर भावपूर्ण और अत्यधिक मार्मिक लघुकथा. बधाई आदरणीय विनय जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 16, 2015 at 3:59pm

आदरणीय , एक मार्मिक कथा के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 16, 2015 at 1:02pm

आ० विनय जी

परम्परागत रूढ़ियों  पर आधारित  यह कथा बहुत ही अच्छी है . बस  ईंट से  एक ही वार में  बछिया का मर जाना  (असंभव तो नहीं है )पर कहानी के यथार्थवाद को आहत अवश्य करता है . सादर .

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 16, 2015 at 12:40pm

दरअसल यह पाप पुन्य सभी गरीबों असहायों के लिए ही बनाये गए हैं ...आपने बखूबी चित्रण किया है फसल बर्बाद होने के पीछे भी हमारा पाप या पूर्व जन्म का फल ही होता है ...ऐसा ही तो सिखया गया है हमें ...

Comment by Shyam Narain Verma on April 16, 2015 at 10:50am
एह लघुकाथा के प्रस्तुति खातिर दिल से बधाई..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service