For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो लघुकथाएँ - (अम्बेदकर जयंती पर)

(१). बदरंग संवेदनाएँ

"घोषणा करवा दो कि कल हम पूरा दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे।"    
"क्यों नेता जी ? कल तो कोई व्रत उपवास भी नहीं है।"
"अरे कल अम्बेदकर जयंती है न, पता नहीं किस किस बस्ती में जाना पड़ जाए ।"  
------------------------------------------------------------------------------
(२). सफ़ेद साँप

"आज तो स्पेशल जश्न होना चाहिए।"
"तो भेजें किसी को दारू सिक्का लाने ?"
"दारू सिक्के के साथ साथ मेरे लिए नत्थू की लौंडिया पकड़ कर लायो।"
"अरे नेता जी, आपको पता है न नत्थू किस जात का है ?" 
"अबे चुप !! ऐसा बोलेगा तो बाबा साहेब की आत्मा को कष्ट पहुँचेगा।"
--------------------------------------------------------------------------

(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 923

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 10:29pm

दोनों ही कथाएं लाजवाब हैं | कुछ नहीं बचता है सिर्फ वाह के अलावा आदरणीय सर | हार्दिक बधाई |


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 20, 2015 at 10:46pm

रचना को अपना बहुमूल्य समय देने के लिए हार्दिक आभार आ० कांता रॉय जी, आ ० विजय निकोर जी, आ० सौरभ पाण्डेय जी, आ० राजेश कुमारी जी, आ० अमन कुमार जी, आ० हरिप्रकाश दुबे जी, आ० जवाहर लाल सिंह जी, आ० वंदना जी, भाई जान गोरखपुरी जी, आ० विनय कुमार सिंह जी, जीतेन्द्र पस्तरिया जी, आ० गिरिराज भंडारी जी, आ० डॉ विजय शंकर जी, आ० डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी, आ० शशि बांसल जी। 

Comment by kanta roy on May 24, 2015 at 10:02pm
दोनों कथाऐं छुआ छूत के मद्देनजर ही लिखी गई है । गाँधी के देश में गाँधी को बापू कह कह कर राष्ट्र पिता बना दिये और उन्हीं के सिद्धांतों को पैरों तले रौंदते चले गये । दोहरी मानसिकता का परिचायक यह दोनों कथा । अद्भुत भाव संयोजन पूज्यनीय योगराज प्रभाकर सर जी नमन
Comment by vijay nikore on April 30, 2015 at 10:54am

दोनों लघुकथाएँ दुरँगे लोगों का चरित्र सरलता से सामने ला रही हैं। हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2015 at 2:18pm

आदरणीय योगराजभाईसाहब,

आपके दोनों चरण सामने हैं.. . और मैं नत हूँ.  ऐसे कमाल पर हम और क्या कर सकते हैं !!

बदरंगीनी और सफ़ेद दोनों की घिनही बास उपट कर बाहर आयी है. 

हार्दिक शुभकामनाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 16, 2015 at 9:31am

ड्वेल पर्सनेलिटी अर्थात दोहरा आचरण ..की बानगी इससे बढ़िया क्या होगी रात को काली स्याही भी सफ़ेद लगे दिन में सफ़ेद भी काली लगे वाह्ह्ह्ह  रे नेता जी ....मौका परस्ती की इन्तेहा तो देखिये ...बाबा साहेब की आत्मा को कष्ट पंहुचेगा ...वाह्ह्ह 

बहुत ही प्रभाव शाली लघु कथाएँ हुई दोनों हार्दिक बधाई आपको आ० योगराज जी| 

Comment by aman kumar on April 16, 2015 at 9:02am

सत्य चित्रण । राजनीति का विद्रुप रूप 

Comment by Hari Prakash Dubey on April 15, 2015 at 10:07pm

आदरणीय योगराज सर , दोनों ही लघुकथायें जबरदस्त हैं , नेताओं के दोगुले  चरित्र को  बखूबी  चित्रित  करती , हार्दिक बधाई ,सादर !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 15, 2015 at 10:00pm

जिस तरह से कल सभी पार्टी के नेताओं ने आंबेडकर जयन्ती पर राग अलापा है उस पर दोनों लघु कथाएं सटीक बैठती है सादर!

Comment by vandana on April 15, 2015 at 9:20pm

बेहतरीन कटाक्ष करती लघुकथाएं आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service