For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम तन्हा कहाँ होते हैं --डा० विजय शंकर

हम जब तन्हा होते हैं ?
तुम्हारे साथ होते हैं
तुमसे बातें करते हैं
तुमको देखा करते हैं
तुम्हारी मुस्कुराहटों में
हँसते हैं , जी लेते हैं
तुमसे सवाल करते हैं
तुम्हारे जवाब देते हैं
तुम्हारे हरेक सवाल के
सौ सौ जवाब देते हैं
कितनी बार पूछती हो
जब आप तन्हा होते हैं
तब आप क्या करते हैं ?
हम तन्हा कहाँ होते हैं
हम जहां भी होते हैं
तुम्हारे साथ होते हैं
हर बात मान लेती हो
इस पर यकीं नहीं करतीं
जब हम प्यार में होते हैं
हम तन्हा नहीं होते हैं
हम तन्हा नहीं होते हैं ||

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 25, 2015 at 3:49am
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , आपने रचना को स्वीकृति प्रदान की , आपका आभार , रचना की प्रशस्ति हेतु आपको धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 24, 2015 at 1:36pm

आदरणीय विजय सर ..अंतिम पंक्तियाँ   बिलकुल सत्य हैं ..पूरी रचना के हर पंक्ति मैं सहमत हूँ . इस शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर                             

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 23, 2015 at 9:17am
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , रचना आपको सुन्दर लगी , आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 23, 2015 at 9:12am
आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी , रचना आपको अच्छी लगी , आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 23, 2015 at 9:10am
आदरणीय इंजी o गणेश जी बागी जी , आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया एवं अपेक्षाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 23, 2015 at 9:07am
आदरणीय सोमेश कुमार जी , प्रशस्ति हेतु आभार, धन्यवाद , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 23, 2015 at 12:25am

आदरणीय डॉक्टर विजय शंकर  सर, सुन्दर प्रस्तुति है !

हम तन्हा कहाँ होते हैं
हम जहां भी होते हैं
तुम्हारे साथ होते हैं....क्या बात है सर , आपने एक भाव में बहकर लिख दिया है ! सादर 

Comment by gumnaam pithoragarhi on March 22, 2015 at 9:28pm
रचना अच्छी लगी ,,,,,,,, बधाई सर जी ..

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 22, 2015 at 8:21pm

आदरणीय डॉ साहब, आपकी कई अच्छी रचनायें मैंने पढ़ी है और उनको पढ़ने के बाद यह रचना अपेक्षाकृत हल्की लगी, ऐसा लग रहा है जैसे कहने के लिए बहुत ही कम कथ्य है जिसे कृत्रिम रूप से विस्तारित किया गया है. सादर. 

Comment by somesh kumar on March 22, 2015 at 7:38pm

सुंदर अभिव्यक्ति ,

खामोश सा अफसाना पानी पे लिखा होता

ना तुमने कहा होता ना हमने सुना होता

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Abhilash Pandey is now a member of Open Books Online
44 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
14 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
19 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service