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“ यह कुकिंग गैस के, यह राशन वाले के, यह बच्चों की स्कूल फी और अभी तो बिजली का बिल आने वाला है. न जाने इस बार....” सुनीता माह का बजट बना ही रही थी कि, तपाक से घर में झाडू-पौंछा कर रही लक्ष्मीबाई पूछ बैठी..

“ बीबी जी.. आप हर माह बिजली के बिल को लेकर क्यूँ परेशान हो जाती हो..?”

“अरे!! बिजली का बिल ही तो झटके मार देता है, पूरे महीने के बजट पर. क्यूँ तुम लोग भी तो खूब टी.व्ही. पंखे चलाते हो, तुम्हे फर्क नहीं पड़ता क्या..?”

“ अरे!! बीबी जी.. टी.व्ही. पंखा ही क्या. हम तो खाना भी हीटर पर बनाते है. और तो और जाड़ों के समय उसे रूम हीटर बना लेते है. बिल की काहे की चिंता. हमें सरकार ने एक बत्ती कनेक्शन फ्री जो दे रखा है”

 

  जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)

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Comment by rajesh kumari on March 12, 2015 at 9:14pm

ऐसा भी होता है ....सोमेश कुमार जी की बात से सहमत हूँ |बढ़िया लघु कथा ,बधाई आपको जितेन्द्र भैय्या 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 8:48pm
यह फ्री भी राजनीति का हिस्सा बन गई है , इस से तीनों भयंकर नुक्सान कर रहे हैं और तीनों स्वयं नुक्सान के शिकार हो रहें हैं। ये तीन हैं , जो यह लाभ दे रहा है, जो यह लाभ ले रहा है और यह देश जो यह झेल रहा है ,मजा तो यह है कि तीनों कह रहे हैं कि , " मजा आ रहा है", .
प्रिय जीतेन्द्र जी , बधाई , आपको इस गम्भीर विषय पर व्यंग लिखने हेतु। सादर।
Comment by विनय कुमार on March 12, 2015 at 8:17pm

सुन्दर लघुकथा हुई है | माले मुफ्त , दिले बेरहम | बहुत बहुत बधाई आपको..

Comment by Shyam Mathpal on March 12, 2015 at 8:13pm

Aadarniya Jitendra Ji,

Sundar.Badhai.  Aap ka maal ya baap ka maal... Bina Mehan & Muft ki cheej ki koi kimat nahi.

Comment by maharshi tripathi on March 12, 2015 at 7:59pm

मुफ्त की चीज सबको भाती है ,बहुत सुन्दर आ. जितेन्द्र पस्टारिया जी |

Comment by somesh kumar on March 12, 2015 at 6:58pm

ये सरकारी लूट है लूट सके तो लूट 

कल प्राईवेट हो जाएगी तो भाग्य जाएँगे फूट |

सच का बयान करती लघुकथा ,पर धार कुछ कम है इस बार 

सादर 

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