For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी को सब प्यार करते है ,
इसलिए नहीं कि वह हमें जीने का मौक़ा देती है ,
बल्कि इसलिए कि वह हमें प्यार से जीने का मौक़ा देती है,
प्यार करने , प्यार बांटने और प्यार में रहने का मौक़ा देती है ,
प्यार है तो जिंदगी में कोई बोझ बोझ नहीं है ,
प्यार नहीं है तो जिंदगी से बड़ा कोई बोझ नहीं है ,
हम जिंदगी के लिए जीना नहीं चाहते हैं ,
हम प्यार के लिए जीना चाहते हैं,
हम प्यार के लिए जिंदगी चाहते है ,
इसीलिये हम सब जिंदगी को प्यार करते है .

हैपी वैलेंटाइन डे ,


डॉO विजय शंकर



मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 15, 2015 at 11:30am
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, आभार , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on February 15, 2015 at 11:15am

आदरणीय विजय शंकर सर बहुत ही सुन्दर सन्देश 

''प्यार है तो जिंदगी में कोई बोझ बोझ नहीं है ,
प्यार नहीं है तो जिंदगी से बड़ा कोई बोझ नहीं है ,''...सुन्दर रचना ! सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 15, 2015 at 3:39am
प्रिय मिथिलेश जी, आभार, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 15, 2015 at 3:16am

आदरणीय विजय शंकर सर इस सुन्दर कविता के लिए हार्दिक बधाई निवेदित है 

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 14, 2015 at 11:37pm
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी, आपको भी , हैपी वेलेंटाइन डे , आपका आभार , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 14, 2015 at 11:36pm
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी, आभार , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 14, 2015 at 11:35pm
आदरणीय जगदीश पंकज जी, आभार , सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 14, 2015 at 8:52pm

विजय सर !

हैप्पी वैलेंटाइन  i  सादर i

Comment by maharshi tripathi on February 14, 2015 at 8:13pm

बहुत खूब आ.विजयशंकर जी ,,आज की युवा के लिये सही सीख ,,,आपको हार्दिक बधाई |

Comment by JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ on February 14, 2015 at 6:06pm

''प्यार है तो जिंदगी में कोई बोझ बोझ नहीं है ,

प्यार नहीं है तो जिंदगी से बड़ा कोई बोझ नहीं है ,''

बहुत सुन्दर --जगदीश पंकज

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service