For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत कविता : हिंसा (गणेश जी बागी)

मारते हो पशु
फैलाते हो हिंसा
'नीच' जाति के हो न
असभ्य कहीं के
कभी नहीं सुधरोगे
इतिहास गवाह है...


मारते तो तुम भी हो
'शिकार' के नाम पर
तुम तो 'नीच' न थे
याद है ?
वो शब्द भेदी बाण
जो असमय वरण किया था
अंधों के पुत्र का,
भागे थे हिरण के पीछे
चर्म चाहिए था न
इतिहास गवाह है...


हिंसक तो तुम दोनों ही हो
एक शौक के लिए
तो दूजा भूख के लिए
हाँ जी हाँ, बिलकुल
इतिहास गवाह है ।

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : सोशल स्टडी

Views: 912

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 8, 2015 at 9:47am

आदरणीय बागी भाई जी , क्या खूब रचना हुई है , वाह ! कारण बस अलग अलग हैं कर्म वही ! इतिहास गवाह है दोनो का ।  हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें आदरणीय ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 8, 2015 at 12:13am
बिलकुल अलग ही तरह की रचना है, सोच , प्रस्तुति दोनों ही मौलिक हैं।
बधाई इस प्रस्तुति पर आदरणीय इंजीo गणेश जी बागी जी, सादर।
Comment by savitamishra on February 7, 2015 at 11:46pm

हिंसक तो तुम दोनों ही हो
एक शौक के लिए
तो दूजा भूख के लिए
हाँ जी हाँ, बिलकुल
इतिहास गवाह है ।..सही बात ..बहुत बढ़िया

Comment by Hari Prakash Dubey on February 7, 2015 at 11:38pm

आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi सर बहुत ही शानदार  रचना , गूढ़ अर्थों को समेटे 

//हिंसक तो तुम दोनों ही हो 
एक शौक के लिए 
तो दूजा भूख के लिए
हाँ जी हाँ, बिलकुल 
इतिहास गवाह है ।//

आपके शब्दों का चुनाव और उनका शानदार संयोजन .... हार्दिक बधाई स्वीकार करें !"सादर !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 7, 2015 at 10:01pm

आदरणीय बागी सर, वाह क्या खूब लिखा है.... संकेत कितने गूढ़ अर्थ लिए है... विषय और शब्द दोनों का ही कमाल का चयन.

स्वार्थ और जरुरत दोनों ही स्थितियों में शिकार तो शिकार ही है. एक ऐसा विषय जिस पर पूर्वाग्रह हमेशा हावी होते है उस विषय पर इतनी सधी हुई और संतुलित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 7, 2015 at 8:32pm

सच कहा  आपने. स्वार्थ, चाहे शौक के लिए हो या भूख हेतु.  हर कड़वी सच्चाई का इतिहास गवाह है और रहेगा. अभिव्यक्ति पर बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय बागी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 7, 2015 at 8:01pm

जी हाँ सही कहा जो नहीं देखा वही ठीक...किन्तु कम कोई भी नहीं है एक स्वार्थ में मारता है एक शोंक में एक खाने के लिए एक शिकार के लिए ,एक  पैसा कमाने के लिए एक घर में सजाने के लिए ,किसी लिए भी हो है तो हिंसा ही न ...इतिहास गवाह है और रहेगा ..

बहुत अच्छा विषय चयन ..उसको सुन्दरता से शब्दबद्ध किया है बहुत बहुत बधाई आ० गणेश जी इस अतुकांत रचना के लिए  

Comment by Shyam Narain Verma on February 7, 2015 at 5:13pm
बहुत सुन्दर ॥ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service