For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुस्कुराते हो बहुत पछताओगे

मुस्कुराते हो बहुत पछताओगे
बज़्म से तुम भी निकाले जाओगे


तुम विसाले यार को बेताब हो
उस से मिल कर भी बहुत पछताओगे


साथ तेरा मिलगया मगरूर हूँ
तुम भला क्यों गीत मेरे गाओगे


रूह को माँ बाप की तस्लीम कर
साथ अपने सब उजाले पाओगे


भूख से बच्चा बिलखता हो अगर
किस तरहा से रोटियां खा पाओगे


बात सच्ची कह रहे हो तुम मनु
इस जुबा पर तुम भी छाले पाओगे
.
मौलिक एवं अप्रकाशित
विजय कुमार मनु

Views: 545

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay on February 4, 2015 at 8:22am
@ गिरिराज जी
सर बेहद शुक्र गुजार हूँ आप लोगों की सलाहियत का
मैं जरूर सुधार करूंगा

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2015 at 5:45pm

आदरणीय विजय भाई , बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है , दिली मुबारक बाद कुबूल करें ।

बस - तरहा को तरह कर लीजियेगा म मिसरा बेबह्र हो रहा है ।

और अगर सही लगे तो , मगरूर के बदले मश्कूर पढ़ के दिखियेगा , ज़रूरी नही है , फिर भी एक सलाह ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 2, 2015 at 10:35pm
यूँ तो पूरी ग़ज़ल बहुत सुन्दर बनी है पर
बात सच्ची कह रहे हो तुम मनु
इस जुबा पर तुम भी छाले पाओगे।
की कुछ बात अलग सी है ,
सादर बधाई आदरणीय विजय जी।
Comment by vijay on February 2, 2015 at 8:55pm
बेहद शुक्रगुजार हूँ आप सब का
हौसला आफजाई के लिए

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 2, 2015 at 8:21pm

इस बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 2, 2015 at 7:58pm

आदरणीय विजय जी...

मुस्कुराते हो बहुत पछताओगे
बज़्म से तुम भी निकाले जाओगे...सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 2, 2015 at 12:32pm

//भूख से बच्चा बिलखता हो अगर
किस तरहा से रोटियां खा पाओगे//

बहुत ही खुबसूरत शे'र, अच्छी ग़ज़ल प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय विजय जी, बहुत बहुत बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
10 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
18 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
18 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service