For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रातों के बेच कर ,दिन की रोशनी मैं इज्जत से जिन मज़बूरी हैं मेरी

आत्मा को बेच कर ,चहरे पर ये रौशनी झूठी है मेरी

जिनके आगे रातें लूटी हैं लुटाया है मैंने ,

उन्हें दिन में इज्जत देने वालों की पहली कतार में पाया हैं मैने

रातों ......

वैसे कहने को तो सभ कुछ पाया है मैने ,

पर हकीकत ये है ,सब कुछ लुटाया  हैं मैंने

मेरे आंशुओं की नीलामी लगाई हैं उन्होंने

मेरे मजबूरियों की पूरी कीमत पाई है उन्होंने

रातों....

मुझे चीर कर मेरे लहू से क्यारी सजाई है उन्होंने

मुझे सजाकर अपने आराम की चीज बनाई है उन्होंने

इन्हें बेनकाब कर दूँ ,कई बार सोचा है मैंने

लेकिन हर दरवाजे ,इन्हें ही चौकीदार पाया है मैंने

रातों ......

खुदकशी ही कर लूँ कई बार सोचा है मैने ,

लेकिन अपनी कतार में न जाने कितनो को पाया है मैने

रातों ......

श्याम मठपाल

मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Mathpal on February 1, 2015 at 12:15pm

Respected Bhandari Ji,Pathak Ji and Shakoor ji.

Bahut dhanyabad. Main galatioyn ko sudharne ki koshish karoonga. Margdarshan ke liye sukriya.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2015 at 11:59am

आदरणीय मथ पाल भाई , अच्छी रचना हुई है , बधाइयाँ ॥ टंकण त्रुटियाँ मज़ा कम कर रहीं है , सुधार लीजियेगा ॥

Comment by ram shiromani pathak on February 1, 2015 at 10:10am
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय ।।शुभ शुब

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 9:56am

आदरणीय श्याम मठपाल जी अच्छी रचना है बहुत बहुत बधाई।
कहीं कहीं टंकण त्रुटि है उसे देख लीजियेगा

Comment by somesh kumar on January 30, 2015 at 11:42am

मुझें मतलब से बाज़ार बनाकर रखा |

कभी आँसू खरीदे कभी नाम बेचा |

बड़े फ़नकार थे रहनुमा मेरे 

मैं समझ ना सकी मुझे हर बार बेचा |

Comment by Shyam Mathpal on January 29, 2015 at 12:46pm

आदरणीय जितेन्द्र जी ,

बहुत -2    धन्यवाद्.  आपके विचार मेरे लिये कीमती है. 

Comment by Shyam Mathpal on January 29, 2015 at 12:31pm

आदरणीय बागी जी ,

धन्यवाद, आपकी हौसला अफजाई  के लिए बहुत आभार . 

अच्छी है, बधाई आदरणीय श्याम मठपाल जी, आगे टाइप पर ध्यान देगे. सादर
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 29, 2015 at 9:30am

बहुत सुंदर. शब्द दर शब्द प्रभावी मनोभाव, हार्दिक बधाई आदरणीय श्याम जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 28, 2015 at 10:13pm

सुन्दर और भावयुक्त रचना, इस प्रयास हेतु बधाई स्वीकार करें.

Comment by Shyam Mathpal on January 28, 2015 at 9:33pm

Aadarniya Dr.Vijai shanker Ji bahut dhanyabad. Margdarshan ke liye bahut sukriya.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
16 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service