For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तूने व्यर्थ नयन छलकाये हैं…

तूने व्यर्थ नयन छलकाये हैं…

राही प्रेम पगडंडी पर
क्योँ तूने कदम बढाये हैं
हर कदम पर देते धोखे
छलिया हुस्न के साये हैं
तेरे निश्छल भाव को समझें
किसके पास ये फुर्सत है
पल भर में ये अपने हैं
अगले ही पल पराये हैं
व्यर्थ है बादल भटकन तेरी
प्रेम विहीन ये मरुस्थल है
तुझे पुकारें तुझसे लिपटें
कहाँ वो व्याकुल बाहें हैं
हर और लगा बाजार यहाँ
हर और मुस्कानों के मेले हैं
छद्म वेश में करती घायल
बे-बाण यहाँ निगाहें हैं
तेरे गिरते आंसू को न
कोई हथेली न रोकेगी
पत्थर दिल के आंचल पर
तूने व्यर्थ नयन छलकाये हैं


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 574

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2015 at 11:56am

आदरणीय  somesh kumar  जी रचना पर अपनी  उपस्थिति से रचना का मान बढ़ाने का  हार्दिक आभार। आदरणीय आपका कथन सही है किन्तु  प्रेम भावों के कई रूप होते है उनमें से विरक्ति भी एक रूप है जिसे मैंने रचना में दर्शाने का प्रयास किया है।  रचना पर आपने अपने अमूल्य समय दिया , इसके लिए हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2015 at 11:53am

आदरणीय   मिथिलेश वामनकर  जी रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2015 at 11:53am

आदरणीय   Dr. Vijai Shanker   जी रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2015 at 11:52am

आदरणीय Hari Prakash Dubey  जी रचना पर अपनी  उपस्थिति से रचना का मान बढ़ाने का  हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2015 at 11:51am

आदरणीय  Rahul Dangi   जी रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति का हार्दिक आभार। 

Comment by somesh kumar on January 25, 2015 at 7:43am

आ . कविता अच्छी है पर कविता में प्रेम-पथ पर ना जाने की सलाह ?सही कहा आप ने प्रेम काफ़ी हद तक बाजारवाद से प्रभावित है पर ऐसा नहीं है कि प्रेम पूर्णत समाप्त है |रचना पर बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 25, 2015 at 3:21am

सुन्दर प्रस्तुति ... बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 24, 2015 at 7:30pm
सुन्दर, भावपूर्ण , बधाई आदरणीय सुशील सरना जी, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 24, 2015 at 6:39pm

आदरणीय सुशील सरना सर ,....

तेरे गिरते आंसू को न

कोई हथेली न रोकेगी

पत्थर दिल के आंचल पर

तूने व्यर्थ नयन छलकाये हैं.....बहुत सुन्दर , भावपूर्ण रचना, हार्दिक बधाई आपको सर !

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 24, 2015 at 6:30pm
वाह वाह बहुत सुन्दर आदरणीय!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
51 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service