For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो ....

प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो ....

तुम ही आदि हो तुम ही अनन्त हो
प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो

नयन आँगन का तुम मधुमास हो
रक्ताभ अधरों की तुम ही प्यास हो
तुम ही सुधि हो मेरे मधु क्षणों की
मेरे एकांत का तुम ही अवसाद हो
नयन पनघट का  मिलन  पंथ हो

तुम ही आदि हो तुम ही अनन्त हो
प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो


इस  जीवन  की  तुम  हो परिभाषा
मिलन- ऋतु  की  तुम  अभिलाषा
भ्रमर  आसक्ति  का  मधु  पुष्प हो
बिना  दरस  दृग  तुम बिन प्यासा
इस  प्रेम  विरह  का तुम्ही अंत हो

तुम ही आदि हो तुम ही अनन्त हो
प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 24, 2015 at 7:26pm

आदरणीय  Rahul Dangi   जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 24, 2015 at 7:25pm

आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी रचना पर आपके आशीर्वचनों ने रचना को एक नयी ऊंचाई प्रदान की है  … आपका तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 24, 2015 at 6:58pm
बहुत सुन्दर रचना हुई वाह! वाह आदरणीय
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 24, 2015 at 1:03pm

सरना जी

बसंत पंचमी के दिन आपकी इस अद्भुत रचना से मन प्रसन्न हो गया  i सादर i

Comment by Sushil Sarna on January 24, 2015 at 12:33pm

आदरणीय    शिज्जु "शकूर" जी  गीत पर आपकी आत्मीय ऊर्जावान प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on January 24, 2015 at 12:33pm

आदरणीय   मिथिलेश वामनकर  जी मेरे द्वारा सृजित गीत पर आपकी आत्मीय ऊर्जावान प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 23, 2015 at 9:36pm

आदरणीय सुशील सरना सर बहुत सुंदर गीत हुआ है बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 23, 2015 at 8:19pm

वाह वाह .. आदरणीय सुशील सरना सर बहुत सुन्दर गीत हुआ है .... सभी पद बहुत प्यारे है प्रेम रस से भीगी इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2015 at 7:27pm

आदरणीया pratibha tripathi   जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service