For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहीँ तो हो खुदा कोई ~ गज़ल

1222 1222

कहीँ तो हो खुदा कोई ।
सुने दिल की रज़ा कोई ।

झुका है दिल उठे हैँ हाथ ,
करे पूरी दुआ कोई ।

जफा पायी जमाने से ,
निभा जाये वफा कोई ।

किसी से क्योँ खता होती ,
क्यूँ पाता है सजा कोई ।

जो दिल की बेबसी समझे ,
नहीँ ऐसा मिला कोई ।

किसी की याद फिर आयी ,
अश्क बन फिर बहा कोई ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज मिश्रा

Views: 835

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2015 at 7:57pm

आदरनीय नीरज भाई , अच्छी गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

अश्क बन फिर बहा कोई  -- ये मिसरा बेबहर है , अश्क़  की मात्रा 21  होती है , आपने 12 ले लिया है ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 7, 2015 at 12:00pm
आदरणीय नीरज जी आपकी हर गजल दिल को छू जाती है वाह बहुत सुन्दर!
Comment by umesh katara on January 6, 2015 at 10:37pm

अच्छी ग़ज़ल वाहह

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 6, 2015 at 6:45pm

वाह खूब ग़ज़ल हुई है भाई जी

Comment by Hari Prakash Dubey on January 6, 2015 at 5:21pm

  पुनः बधाई आदरणीय नीरज जी, सुन्दर रचना !

Comment by khursheed khairadi on January 6, 2015 at 11:13am

कहीँ तो हो खुदा कोई ।
सुने दिल की सदा कोई ।

आदरणीय नीरज भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है | आदरणीय मिथिलेश जी वाला 'गुनिजन ' तो मैं नहीं हूं ,किंतु आपके प्रयास को सादर नमन करते हुये स्नेह सहित अर्ज़ है कि  मतले के अनुसार ख़ुदा-सदा  में  दाल +अलिफ़ का (दा ) काफ़िया(मुतलक़ मौसूल ) है तथा 'कोई' रदीफ़ है | मतले का काफ़िया तथा रदीफ़ ही  सभी शेरों में निभाया जाना चाहिए | अतः आप को या तो मतले में काफ़िया बदलकर ' कहीं तो हो ख़ुदा कोई \सुने दिल का कहा कोई ' कर लेना चाहिए | अथवा आपको ख़ुदा-सदा-जुदा-अदा-रिदा-फ़िदा के काफ़ियों के साथ अशहार की कोशिश करनी चाहिय | भाई जी अन्यथा न ले मैं भी इसी तरह सिखा हूं और सीख रहा हूं .....सीखता रहूँगा |सादर 

Comment by somesh kumar on January 6, 2015 at 10:40am

bhavprd asaar lge ,niyam-vyakrn to mujhe malum nhin,bdhai 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 5, 2015 at 11:56pm
सुन्दर प्रस्तुति , बधाई आदरणीय नीरज जी, सादर।
Comment by दिनेश कुमार on January 5, 2015 at 9:43pm
ग़ज़ल बहुत अच्छी है। मिथिलेश जी की बात सही लगती है।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 5, 2015 at 8:26pm

आदरणीय नीरज भाई जी रचना पर बधाई ...

मतले के अनुसार शायद बाकी अशआर नहीं हुए है ....

बाकि गुनिजन ही बताएँगे 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service