For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूर्य तो बस सुधा कूप है/ नवगीत (मिथिलेश वामनकर)

प्रेम की गुनगुनी धूप है

सूर्य तो बस सुधा कूप है

 

हंस रहा रश्मियाँ भेजकर

तीर्थ के दीप सा बल रहा

कष्ट में पुष्प सा खिल गया

अनगिनत विश्व का छंद है

कांति का शांति का रूप है

सूर्य तो बस सुधा कूप है

 

ब्रह्म के कण विचरते हुए

बल तेरा मिल गया हर दिशा

शून्य में रूप तू इष्ट का

अस्त पर व्यस्त तू फिर कहीं

कर्म का धर्म का यूप है

सूर्य तो बस सुधा कूप है

 

सृष्टि के पुत्र का पालना

तप्त भी तो मनुज के लिए

सिंदूरी सिंदूरी थपकियाँ

कोपलें, गर्भ की सर्जना

मन प्रजा में छिपा भूप है

सूर्य तो बस सुधा कूप है

(मौलिक व अप्रकाशित)

मिथिलेश वामनकर 

Views: 860

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on December 20, 2014 at 6:43pm

सूर्य तो बस सुधा कूप है....बधाई मिथिलेश जी,सुन्दर रचना !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 20, 2014 at 12:53am

नवगीत के पैमाने पर यह रचना कहाँ तक सफल है, ये गुनिजन ही बता सकते है. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 19, 2014 at 3:13pm
परम आदरणीय गुमनाम जी इस प्रयास की सराहना के लिए हृदय से धन्यवाद । आभार। सादर।
Comment by gumnaam pithoragarhi on December 19, 2014 at 2:58pm

सुन्दर रचना के लिए बधाई सर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 19, 2014 at 12:44pm

आदरणीय श्याम नरैन वर्मा जी नए प्रयास पर आपकी सराहना उत्साहवर्धन करने वाली है, हार्दिक धन्यवाद, बहुत बहुत आभार 

Comment by Shyam Narain Verma on December 19, 2014 at 12:36pm

" सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर............. "


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 19, 2014 at 12:14pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  सर   आपको रचना पसंद आई आभार धन्यवाद. नवगीत विधा पर यह पहला प्रयास है. आदरणीय सौरभ पांडे सर के आलेख और नवगीत पढने के बाद एक प्रेरित होकर प्रयास  किया है.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 19, 2014 at 12:11pm

आदरणीय नीरज मिश्रा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद उत्साह वर्धन के लिए ...आभार 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 19, 2014 at 10:37am

वामनकर जी, आपकी लेखनी  से निकली अद्भुत रचना  i  सादर i

Comment by Neeraj Nishchal on December 19, 2014 at 9:25am
मित्र मिथिलेश जी एक सजीव सुंदर और सहज वर्णन आपकी इस रचना मेँ हैँ इस सारगर्भित रचना के लिये आपको बहुत बहुत बधाई । निश्चित ही सूर्य सुधा कूप है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service