For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ---------------------- गुमनाम पिथौरागढ़ी

२२ २२  २२ २२/१२१

रंगों की नादानी देखो

तेरी करें गुलामी देखो

चाँद धनुक गुलशन और हूर

तेरी रचें जवानी देखो

पहले आम की नई बौरें

यौवन से अनजानी देखो

जोग लगा दे जोग छुड़ा दे

सूरत एक सुहानी देखो

शेख बिरहमन करने लगे

रब से बेईमानी देखो

तुझको पूजूं या प्यार करू

ये अजब परेशानी देखो

तोड़ो चुप्पी गुमनाम ज़रा

कहके प्रेम कहानी देखो

गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 564

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on December 18, 2014 at 5:57pm

धन्यवाद दोस्तो आपका साथ हमेशा अपेक्षित है ,,,,,,,,,,,,,,

Comment by mrs manjari pandey on December 17, 2014 at 9:35pm
आदरणीय बहुत कमनीय सुन्दर सी गजल । पढ़ का अच्छा लगा । बहुत बहुत बधाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 17, 2014 at 8:00pm

बहुत बढ़िया आदरणीय गुमनाम जी बेहतरीन ग़ज़ल है दिली दाद कुबूल करें। वैसे छठे शेर की रवानी और अच्छी हो सकती है, 

Comment by gumnaam pithoragarhi on December 17, 2014 at 7:37pm

गोपाल नारायण जी सादर नमस्कार धन्यवाद आप लोगो के ही प्रोत्साहन से कुछ लिखने कहने की कोशिश कर पाता हूँ आप सराहते हैं तो हौसला मिलता है ........ जहाँ तक गुमनाम का सवाल है बड़े बड़े नामो के बीच कई गुमनाम ही रह जाते है एक और सही ........

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2014 at 8:54am

गुमनाम जी

ऐसी  खूबसूरत गजल कहने वाला गुमनाम कैसे हो सकता है ? सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2014 at 8:52am

गुमनाम जी

Comment by somesh kumar on December 16, 2014 at 10:53pm

शुरु से अंत तक ,हर लफ्ज़ दिल से जुड़ता हुआ महसूस हुआ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 16, 2014 at 10:49pm

शेख बिरहमन करने लगे

रब से बेईमानी देखो ...उम्दा 

बेहतरीन रचना आदरणीय  gumnaam pithoragarhi जी हार्दिक बधाई आपको !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 16, 2014 at 10:38pm

शेख बिरहमन करने लगे

रब से बेईमानी देखो.....सुन्दर रचना आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी! हार्दिक बधाई !

Comment by vijay nikore on December 16, 2014 at 9:43pm

बहुत सुन्दर भाव हैं। बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service