For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आजकल हँसता हंसाता कौन है

२१२२...२१२२...२१२.

फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन ..

=====================

आजकल हँसता हंसाता कौन है

गम छुपा के मुस्कराता कौन है !!

हम ज़माने पे यकीं कैसे करें,

आज कल सच-सच बताता कौन है.!!

उलझनों में भी हैं कुछ नादानियाँ,

याद बचपन की भुलाता कौन है !!

जब मिलूँगा तो शिकायत भी करू

इसलिए मुझको बुलाता कौन है!!

दो घडी की बात है ये ज़िन्दगी,

ज़िन्दगी भर को निभाता कौन है.!!

हार है या जीत है इस खेल में,

छोड़ कर मैदान जाता कौन है !!

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

** आलोक **

मथुरा

Views: 848

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Alok Mittal on November 29, 2014 at 11:05am

आद. ajay sharma जी....बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by Alok Mittal on November 29, 2014 at 11:04am

आद. योगराज प्रभाकर भाई जी....हौसला बढाने का आपका दिल से आभार

Comment by Alok Mittal on November 29, 2014 at 11:03am

आद. Shyam Narain Verma जी.....हौसला बढाने का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Alok Mittal on November 29, 2014 at 11:03am

आद. Hari Prakash Dubeyजी.....बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by Alok Mittal on November 29, 2014 at 11:03am

आद. ram shiromani pathak जी...आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Alok Mittal on November 28, 2014 at 4:18pm

आद. Chhaya Shuklaजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Alok Mittal on November 28, 2014 at 4:17pm

आद maharshi tripathi जी....आपका बहुत बहुत आभार मेरा हौसला बढ़ाने के लिए ..

Comment by Alok Mittal on November 28, 2014 at 4:15pm

आद. डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी....आपका बहुत बहुत आभार सर जी

Comment by Alok Mittal on November 28, 2014 at 4:15pm

आद. Meena Pathak जी....हौसला बढाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार

Comment by ajay sharma on November 27, 2014 at 10:30pm

wah wah gazal 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service