For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल्ली के दावेदारों

दिल्ली के दावेदारों तुम , देहातों में जाकर देखो

तकलीफ़ों की लहरें देखो ,गम का गहरा सागर देखो

 

सूरज अंधा चंदा अंधा , दीप बुझे हैं आशाओं के

रातें काली हैं सदियों से , और दुपहरें धूसर देखो

 

निर्धन की झोली में है दुख ,मौज दलालों के हिस्से में

कुटिया देखो दुखिया की तुम ,वैभव मुखिया के घर देखो

 

मोती निपजाने वाले तन ,धोती को तरसे बेचारे

गोदामों में सड़ता गेंहूं , भूखे बेबस हलधर देखो

 

आँसू गाँवों के भरते हो , सुविधाओं के पैमानों में

ठेठ अभावों की खाई से ,विपदाओं का डूंगर देखो

 

मुफ़्त दवायें मुफ़्त पढाई , शर्मसार सब जुमले होंगें 

खटिया पर इक रोगी बुढ़िया ,मैले नंगे टाबर देखो

 

जश्न मनाओ आज़ादी का , लूट मचाओ देहातों में

ढोल नरेगा का पीटो मत ,पेट फुलाये अफ़सर देखो

 

सात पुश्त तक का तुमने तो , इंतजाम कर लिया खज़ाने में

सात दशक की आज़ादी की , हालत कितनी जर्जर देखो

 

अँधियारे को झुठलाते हो , फ़िल्म चढ़ाकर तुम चमकीली 

रंग उड़ा झूंठे दावों का , काली धुँधली पिक्चर देखो

 

आजीवन आँसू पीकर भी ,प्यासी है सुख की चिंगारी

सागर सागर भटका फिर भी ,रीती मन की गागर देखो

 

आखिर ये दिन भी थे आने ,अब ‘खुरशीद’ ग़ज़ल कहता है

कलयुग में घर घर नेता ,गली गली में शायर देखो 

.

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 424

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 12, 2014 at 11:31am

//मोती निपजाने वाले तन ,धोती को तरसे बेचारे
गोदामों में सड़ता गेंहूं , भूखे बेबस हलधर देखो // वाह वाह वाह !

पूरी गज़ल ही लाजवाब है, हार्दिक बधाई आ० खुर्शीद खैराड़ी जी।

Comment by Shyam Narain Verma on November 12, 2014 at 10:33am

" सुन्दर भावों से सजी इस गज़ल के लिए आपको बहुत बधाई ...... "

Comment by maharshi tripathi on November 11, 2014 at 8:46pm

बहुत खूबसूरत ,sir


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 11, 2014 at 7:35pm

क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही है, सीधे दिल तक चोट करती है, कुछ अशआर तो बेहद संजीदा हुए हैं,

//निर्धन की झोली में है दुख ,मौज दलालों के हिस्से में
कुटिया देखो दुखिया की तुम ,वैभव मुखिया के घर देखो//

क्या कहने आदरणीय, उम्दा !

//सात पुश्त तक का तुमने तो , इंतजाम कर लिया खज़ाने में//
इस मिसरा का प्रवाह बाधित हो रहा है, एक बार देख लीजियेगा।
बहरहाल बहुत बहुत बधाई आदरणीय खुर्शीद साहब।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 11, 2014 at 6:53pm

जनता की आज़ादी अभी बाकी है और बहुत दूर है। भ्रम को हटाती बहुत अच्छी ग़ज़ल आदरणीय खुर्शीद हैदर जी बधाई। 

Comment by Sushil Sarna on November 11, 2014 at 6:20pm

आदरणीय वर्तमान व्यवस्था पर चोट करती सुंदर ग़ज़ल। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 11, 2014 at 4:41pm

व्यवस्था की पोल  खोलती एक जागरूक  गजल

Comment by somesh kumar on November 11, 2014 at 3:40pm

behtrin gzl,aakhiri lain umda vyng 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service