For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उमेश कटारा ग़ज़ल --------चाँद ने मुस्कराकर जलाया बहुत

212 212 212 212
------------------------------------
एक किस्सा उसी ने बनाया मुझे
फिर तो पूरे शह़र ने ही गाया मुझे

बात आँखों से आँखों ने छेडी ज़रा
रात को छत पे उसने बुलाया मुझे

चाँद शामिल रहा फिर मुलाकात में
प्यार का गीत उसने सुनाया मुझे

रात चढ़ती गयी बात बढ़ती गयी
उसने बाहों में भरके सुलाया मुझे

मिल गये दिल, बदन से बदन मिल गये
पंछियों की चहक ने ज़गाया मुझे

सुब्ह होने से पहले दिखा आयना
खुद हक़ीक़त से मेरी मिलाया मुझे

किस तरह से हुयी है वो मजबूर अब
राज दिल का उसी ने बताया मुझे

रात पहली मिलन की हुयी आखिरी
और फिर आँसुओं से झुकाया मुझे

छोड़कर हाथ उसने ज़रा घूमकर

अपने सीने से रोकर लगाया मुझे

अश्क बहने लगे हो गया दूर वो
चाँद ने मुस्कराकर ज़लाया मुझे

अगले पल ही जुदा हो गयी जिन्दगी
वक्त ने कहर अपना दिखाया मुझे

आ गया हर तरफ एक तूफान सा
जिन्दगी ने बहुत ही सताया मुझे

मैं तो भूला नहीं हूँ उसे आज तक
क्या पता कैसे उसने भुलाया मुझे

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on November 11, 2014 at 9:15am

शुक्रिया योगराज प्रभाकर जी आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया के लिये साधुबाद

Comment by umesh katara on November 11, 2014 at 9:14am

शु्क्रिया Mohinder kumar जी

Comment by umesh katara on November 11, 2014 at 9:14am

शुक्रिया डा.विजय शंकर जी

Comment by umesh katara on November 11, 2014 at 9:13am

आदरणीय गिरिराज जी आ.बागी जी बातों पर मैंने ध्यान दिया है.....आदरणीय बागी जी को और आपको साधुबाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 11, 2014 at 9:03am

आदरणीय उमेश भाई , बहुत खूब सूरत गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकारें । आ. बागी जी की बातों का ख्याल ज़रूर करें ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 10, 2014 at 10:56pm

मैं तो भूला नहीं हूँ उसे आज तक
क्या पता कैसे उसने भुलाया मुझे
क्या बात है , बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय उमेश कटारा जी , बधाई।

Comment by Mohinder Kumar on November 10, 2014 at 12:22pm

मिलन की खुशी और बिछोड के दर्द मेँ डूबी गजल के लिये बधाई  आदरणीये उमेश जी. 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 10, 2014 at 11:29am

ग़ज़ल अच्छी हुई है जिस हेतु बधाई प्रेषित है आ० उमेश कटारा जी।  भाई गणेश बागी जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु उठाये थे, लेकिन आप शायद उन्हें नज़र-अंदाज़ कर गए।  मेरी राय में उनका संज्ञान लेना अति आवश्यक है।  एक गुज़ारिश और है कि आप प्रतिक्रिया भी देवनागरी में ही दिया करें।

Comment by umesh katara on November 9, 2014 at 5:26pm

shukriya Ramshiromani pathak ji

Comment by ram shiromani pathak on November 9, 2014 at 2:22pm

मैं तो भूला नहीं हूँ अभी तक उसे 
क्या पता कैसे उसने भुलाया मुझे////बहुत सुन्दर 

 हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
4 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
16 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service