For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुद का भी अहसास लिखो

खुद का भी अहसास लिखो!
एक मुकम्मल प्यास लिखो!!

उससे इतनी दूरी क्यों !
उसको खुद के पास लिखो !!

खाली गर बैठे हो तुम!
खुद का ही इतिहास लिखो !!

 गलती उसकी बतलाना !
खुद का भी उपहास लिखो!!

हे ईश्वर ऊब गया हूँ!
मेरा भी अवकाश लिखो!!
***************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
 

Views: 872

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on August 30, 2014 at 8:39pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया सविता जी 

Comment by MAHIMA SHREE on August 28, 2014 at 9:14pm

वाह  बहुत खूब .. शानदार ग़ज़ल कही रामशिरोमणि जी बधाई 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 27, 2014 at 2:59pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी ..आपकी यह ग़ज़ल बेहद पसंद आयी बस आखरी अशार गुनगुनाने में थोड़ी रुकावट महसूस हुई ..इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 26, 2014 at 11:31pm

प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी 

मुझे आपकी ये ग़ज़ल बहुत पसंद आयी... 

दिली मुबारकबाद इस सुन्दर ग़ज़ल पर 

Comment by Pawan Kumar on August 26, 2014 at 6:06pm

आदरणीय भईया राम शिरोमणि जी....
आपने लिखने के बहुत अच्छे अच्छे सुझाव दिये हैं........
सुन्दर रचना सादर बधाई

Comment by Sarita Bhatia on August 25, 2014 at 1:50pm

क्या बात !! वाह 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 25, 2014 at 11:05am

आदरणीय भाई राम शिरोमणि जी , बहुत सुंदर गजल हुई है लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by कल्पना रामानी on August 24, 2014 at 10:46pm

गजल बहुत सुंदर कही है आदरणीय राम शिरोमणि जी, बहुत बहुत बधाई आपको।

Comment by savitamishra on August 24, 2014 at 10:41pm

बहुत बढ़िया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 24, 2014 at 1:02pm

भाई शिज्जू जी, अवकाश का उक्त शेर में लाक्षणिक प्रयोग हुआ है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service