For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल -  वही साखी पुरानी है...

1222, 1222, 1222, 1222

वही काठी, वही जज्बा, वही लाठी पुरानी है।
हसीं बुत मिल गया जिसमें वही मिट्टी पुरानी है।

अॅंधेरों को मिटाकर रोशनी के साथ जलता जो,
वही सूरज, वही चन्दा, वही भट्टी पुरानी है।

जगा कर देश को जिसने बढाया मान-मर्यादा,
वही पत्रक, वही पोथी, वही रद्दी पुरानी है।

दिला कर मंजिले पर्वत शिखर का कद किया बौना,
वही धागा कलाई का वही रस्सी पुरानी है।

जला कर दीप नयनों के दिलों को जोडते रब से
खुदा-श्रीराम-ईसा की वही बस्ती पुरानी है।

मिटा कर भेद-भावों को पिरोया प्यार मानव में,
कबीरा-सूर-तुलसी की वही साखी पुरानी है।

के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 12, 2014 at 5:07am

आ0 सौरभ सर जी, शिरोमणि भाई,, जवाहर भाई रमेश भाई, जितेन्द्र भाई, मीना जी, गोपाल भाई, धामी भाई भण्डारी भाई, भुवन भाई, नीरज भाई जी, आप सभी का बहुत बहुत आभार।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 7:33pm

आदरणीय गोपालनारायनजी के कहे से मैं भी सहमत हूँ.  साखी कबीर से जुड़ी है.

शुभ-शुभ

Comment by भुवन निस्तेज on August 5, 2014 at 6:06pm

बेहद उम्दा इस गजल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय....

Comment by Neeraj Nishchal on August 5, 2014 at 3:58pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी आपकी ये ग़ज़ल तो अनमोल है
ऐसी अद्भुत प्रतिभा देखता हूँ शून्यवत रह जाता हूँ
तारीफ करूँ क्या उसकी जिसने ये ग़ज़ल बनायी ।
और तारीफ करूँ क्या उसकी जिसने इस ग़ज़ल बनाने वाले को बनाया ।
सादर , आदरणीय केवल प्रसाद जी ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2014 at 11:14am

जला कर दीप नयनों के दिलों को जोडते रब से
खुदा-श्रीराम-ईसा की वही बस्ती पुरानी है।

मिटा कर भेद-भावों को पिरोया प्यार मानव में,
कबीरा-सूर-तुलसी की वही साखी पुरानी है। ---------- लाजवाब ! गज़ल के लिये और इन दो शेर के लिये बधाइयाँ , आ. केवल भाई ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 5, 2014 at 10:59am

आ० केवल भाई इस उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 4, 2014 at 12:40pm

केवल भाई i कविता बहुत सुन्दर बन पडी है i आपको बधाई  i अंतिम पंक्ति के बारे में जहाँ तक मेरी समझ है साखी का सम्बन्ध केवल कबीर से है तुलसी और सूर र्से नही i अतः पंक्ति में संशोधन अपेक्षित है i

 

Comment by Meena Pathak on August 4, 2014 at 11:34am

बहुत सुन्दर गज़ल ... बधाई आ० केवल जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2014 at 9:58am

बहुत अच्छी गजल कही आपने आदरणीय केवल जी. हरेक शे'र एक सुंदर सन्देश देता हुआ, हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by रमेश कुमार चौहान on August 3, 2014 at 10:09pm

बहुत सुंदर रचना सभी बंध आनंददायी संदेशपरक हैं, हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service