For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धूप 


 

जिधर देखो आज
धुन्धलाइ सी है धूप. 

 

न जाने आज क्यों?
कुम्हलाई सी है धूप. 

 

आसमाँ के बादलों से
भरमाई सी है धूप. 

 

पखेरूओं की चहचाहट से
क्यों बौराई सी है धूप? 

 

पेड़ों की छाँव तले
क्यों अलसाई सी है धूप? 

चैत के माह में भी
बेहद तमतामाई सी है धूप. 

 

हवाओं की कश्ती पर सवार
क्यों आज लरज़ाई सी है धूप?

"मौलिक व अप्रकाशित"वीणा सेठी.

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on July 28, 2014 at 1:12pm
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर.................
Comment by vijay nikore on July 27, 2014 at 5:04pm

बहुत मार्मिक भाव हैं। बधाई।

Comment by Priyanka singh on July 26, 2014 at 8:20pm

अच्छी लगी आपकी धूप .... सुन्दर रचना ...बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 26, 2014 at 2:04pm

प्रस्तुति की कोमलता प्रभावित करती है, आदरणीया..

हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by savitamishra on July 25, 2014 at 10:00pm

सुंदर रचना

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 25, 2014 at 11:04am

महनीया

सुन्दर सतरंगी है धूप  !

Comment by kalpna mishra bajpai on July 24, 2014 at 9:05pm

आदरणीया सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 24, 2014 at 8:15pm

//पखेरूओं की चहचाहट से 
बौराई सी है धूप? 

 

पेड़ों की छाँव तले 
अलसाई सी है धूप? 

चैत माह में भी 
तमतामाई सी है धूप. 

 

हवाओं की कश्ती पर
लरज़ाई सी है धूप?//

कविता अच्छी लगी, बहुत बहुत बधाई आदरणीया वीणा सेठी जी। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service