For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - कभी दोश अश्कों से तर रहा ( गिरिराज भंडारी )

11212     11212      11212       11212  

न तो आँधियाँ ही डरा सकीं , न ही ज़लजलों का वो डर रहा

तेरे नाम का लिये आसरा , सभी मुश्किलों से गुजर रहा

 

न तो एक सा रहा वक़्त ही , न ही एक सी रही क़िस्मतें

कभी कहकहे मिले राह में , कभी दोश अश्कों से तर रहा

 

कोई अर्श पे जिये शान से , कहीं फर्श भी न नसीब हो 

कहीं फूल फूल हैं पाँव में , कोई आग से है गुज़र रहा

 

तेरी ज़िन्दगी मेरी ज़िन्दगी , हुआ मौत से जहाँ सामना

हुआ हासिलों का शुमार जब , ये सिफर हुआ वो सिफर रहा

 

कभी था यक़ीन भी छाँव पर , कभी धूप भी थी खिली हुई

हुई बदलियों में वो साजिशें , न वो आफताब न घर रहा

 

ऐ खुदा तेरे तो जहान की , है हक़ीकतें भी अजब गज़ब

कोई खाया इतना कि मर गया, कोई खा सका न तो मर रहा 

 

गिरी बिजलियाँ यहाँ इस क़दर ,जला ख़्वाब का मेरा आशियाँ

बड़ा अब सुकून हुआ मुझे , न वो घर रहा न वो डर रहा

           *******************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

 

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 25, 2014 at 11:40am

आदरणीय शिज्जु भाई , सारी आसानियाँ इसी मंच के देन है , इस मंच का और आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 25, 2014 at 11:38am

आदरणीय निलेश भाई , आपकी उत्साह वर्धन करती  प्रतिक्रिया के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 25, 2014 at 11:36am

आदरणीय बड़े भाई , ग़ज़ल को आपका आशीर्वाद मिला , सराहना मिली तो ग़ज़ल कहना सफल हुआ ॥ आपका हृदय से आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 25, 2014 at 11:30am

बहुत खूब सर इस मुश्किल बह्र पर भी आप बड़ी आसानी से अपनी बात कह लेते हैं बहु बहुत बधाई इस ग़ज़ल के लिये

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 25, 2014 at 11:16am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल ... दिल लूटने वाली और गाने वालों कि सबसे पसंदीदा और मुश्किल बह्र पर ग़ज़ल कहने के लिए विशेष बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 25, 2014 at 10:58am

आ------हा------

मित्र

क्या चुन चुन के गजल कही है i कलम हो तो ऐसी  !  मै  निशब्द हूँ प्रिय  i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 24, 2014 at 9:46pm

आदरणीया कल्पना जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by kalpna mishra bajpai on July 24, 2014 at 9:04pm

सर आप बहुत अच्छी गजल लिखते हैं बहुत बधाई आपको /सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 24, 2014 at 8:49pm

आदरणीय गणेश बागी भाई जी , आपकी सलाह सर आखों पर , सीखने की प्रक्रिया जीवन भर चलाती रहती है , मै ज़रूर आपकी सलाह के अनुसार आगे प्रयत्न करूंगा । रचना को समय देने के लिये और सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 24, 2014 at 8:46pm

आदरणीय विजय शंकर भी , ग़ज़ल पर आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिये आपका दिल से आभारी हूँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service