For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -निलेश "नूर"--कितना आसान है आसान का मुश्किल होना.

२१२२, ११ २२, ११२२, २२/ ११२ 
.

आप का, ग़म में हमारे कभी शामिल होना,
अपनी क़िस्मत में नहीं था ये भी हासिल होना.
.

ये सफ़र ज़ीस्त का था, साथ चली रुसवाई,
देखना बाक़ी रहा...राह का मंज़िल होना.
.

इक सफ़र चलता रहा उसके फ़ना होने तक,
एक हसरत थी लहर की, कभी साहिल होना.

.

जश्न में डूबे हुए दिल में ख़लिश थी हरदम,
रोज़ महसूस किया, याद का...महफ़िल होना.  
.

बोझ नाक़ाम सी हसरत का उठाकर देखो,
कितना आसान है आसान का मुश्किल होना.
.

“नूर” इल्ज़ाम उठाकर लगे जीना मुश्किल,
हाय!! आसाँ भी नहीं ख़ुद का ही क़ातिल होना.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 677

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 18, 2014 at 7:47am

धन्यवाद आ. सौरभ जी ..
"बस कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना".. गुनगुनाते हुए ये ख़याल आया था कि अक्सर आसान का मुश्किल होना बहुत आसान है सो ये शेर हुआ ..
आपकी दाद से अभिभूत हूँ ..
धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 6:13pm

मैं भी मतले पर मुग्ध हूँ.

इसके अलावा ये दोनों शेर बेहद अपने से लगे हैं - 

बोझ नाक़ाम सी हसरत का उठाकर देखो,
कितना आसान है आसान का मुश्किल होना.
.

“नूर” इल्ज़ाम उठाकर लगे जीना मुश्किल,
हाय!! आसाँ भी नहीं ख़ुद का ही क़ातिल होना. ...

ढेर सारी दाद कुबूल हो, आदरणीय नीलेश जी..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 9, 2014 at 6:45pm

शुक्रिया आ. गुमनाम जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 9, 2014 at 6:45pm

शुक्रिया आ. मदन मोहन सक्सेना जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 9, 2014 at 6:45pm

शुक्रिया आ. शिज्जू भाई 

Comment by Madan Mohan saxena on July 9, 2014 at 3:47pm

बहुत सुन्दर गजल ,हार्दिक बधाई

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 9, 2014 at 7:01am

बहुत सुन्दर गजल हुई है। बधाई स्वीकारें.............................................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 8, 2014 at 10:42pm

वाह आदरणीय निलेश भाई लाजवाब ग़ज़ल है खास तौर पर मत्ला बेमिसाल हुआ है

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 8, 2014 at 10:36am

शुक्रिया आ. अरुण कुमार जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 8, 2014 at 10:36am

शुक्रिया आ. वेदिका जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
9 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service