For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिवास्वप्न... एक पुरानी कविता (डॉ० प्राची)

कभी यूँ भी हुआ है

कि

मन ही मन

उन्हें बुलाया

और वो दौड़े आये हैं...

मीलों के फासलों को झुठलाते,

मुलाकातों की सौगातें लिए,

दबे पाँव

नींदों में....

 

मुमकिन नहीं

जिन बीजों का पनपना भी,

उनकी खुशबू से

ख़्वाबों में महकती हैं

फिजाएं अक्सर....

 

और,

मैं मुस्कुराती हूँ ....

क्योंकि-

दिवास्वप्न

जिनकी मंजिल तक

कोई राह नहीं जाती

शुक्र है

वहाँ

सपनों की पहुँच है....!

(08-04-2012) मौलिक 

ओबीओ पर ही पूर्व प्रकाशित हुई थी पर अब ओबीओ पर नहीं है..इसलिए पुनः पोस्ट कर रही हूँ 

Views: 856

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2014 at 12:49am

दिवास्वप्न तक स्वप्न की पहुँच है ! .. सही है.

सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2014 at 3:44pm

दीदी बहुत ही सुन्दर रचना सपने अपने भी हैं और पराये भी सपने बहुत कुछ दे जाते हैं और अगले ही पल सब वापस भी ले जाते हैं. इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 6, 2014 at 11:30am

आदरणीया प्राची जी , काल्पनिक , अवास्तविक खुशियाँ भी कुछ देर के लिये खुशी तो देती ही हैं ,  कभी कमज़ोर सहारा भी मज़्बूती दे जाती है ।

और,

मैं मुस्कुराती हूँ ....

क्योंकि-

दिवास्वप्न

जिनकी मंजिल तक

कोई राह नहीं जाती

शुक्र है

वहाँ

सपनों की पहुँच है....! --------- बहुत खूब , रचना के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2014 at 8:40pm

आ0 प्राची जी,  बहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता...अच्छी लगी । बधाई स्वीकारों। सादर,

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 5, 2014 at 5:27pm

पूर्व में तो पढने में नहीं आई | दिवा स्वपन सुख की अनुभूति तो कराते ही है, भले मंजिल वहा तक न जाती है |

सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया 

Comment by parul 'pankhuri' on July 5, 2014 at 4:43pm

बहुत सुन्दर ..स्वपन की कल्पनाएँ यथार्थ से अधिक सुख दे जाती हैं .. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ! 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 5, 2014 at 11:18am

आ०  प्राची बहन इस उम्दा कृति के लिए हार्दिक बधाई l

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 5, 2014 at 11:09am

आ० प्राची जी,
गाँव में एक कहावत है -पुराना चावल ही पथ्य होता है.आपकी इस पुरानी कविता से मुझे "मधुशाला" का स्मरण हो आया- और पुरानी होकर मेरी , और नशीली मधुशाला.
बहुत - बहुत बधाई " दिवास्वप्न "को सुंदरता से उकेरने के लिए.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 5, 2014 at 9:40am

जिनकी मंजिल तक

कोई राह नहीं जाती

शुक्र है

वहाँ

सपनों की पहुँच है...!

सपने कभी  नींद से बाहर आकर  दुःख दे जाते है तो कहीं कुछ समय बिताने की सामग्री भी जुटा लेता है इंसान. बहुत ही सुंदर सहज शब्दों में आपकी यह रचना बहुत पसंद आई, बधाई स्वीकारें आदरणीया डा.प्राची जी

Comment by Neeraj Neer on July 4, 2014 at 10:27pm

जिनकी मंजिल तक

कोई राह नहीं जाती

शुक्र है

वहाँ

सपनों की पहुँच है॥ सपनों मे हमारी कई छुपी हसरतें चुपके से पूरी हो जाती है ॥ बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service