For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझको तो गुज़रा ज़माना चाहिए।

फिर वही बचपन सुहाना चाहिए।

 

जिस जगह उनसे मिली पहली दफा,

उस गली का वो मुहाना चाहिए।

 

तैरती हों दुम हिलातीं मछलियाँ,

वो पुनः पोखर पुराना चाहिए।

 

चुभ रही आबोहवा शहरी बहुत,

गाँव में इक आशियाना चाहिए।

 

भीड़ कोलाहल भरा ये कारवाँ,

छोड़ जाने का बहाना चाहिए।

 

सागरों की रेत से अब जी भरा,

घाट-पनघट, खिलखिलाना चाहिए।

 

घुट रहा दम बंद पिंजड़ों में खुदा,

व्योम में उड़ता तराना चाहिए।

 

थम न जाए लेखनी यह ‘कल्पना’

गीत गज़लों का खज़ाना चाहिए।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 764

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on July 10, 2014 at 6:40pm

प्रिय प्राची जी, उत्साहवर्धक शब्दों के लिए सादर धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on July 10, 2014 at 6:39pm

आपकी मनोबल बढ़ाती हुई सुंदर टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 10, 2014 at 2:18pm

अपनी सुकोमल चाहतों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं 

हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 6:39pm

एक भरपूर, आबाद और सशक्त ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पनाजी.

सादर

Comment by कल्पना रामानी on July 5, 2014 at 9:08am

सभी आदरणीय मित्रों की प्रोत्साहित करती हुई सुंदर टिप्पणियाँ पढ़कर हार्दिक प्रसन्नता हुई, आप सबका स्नेह ही मेरा संबल है। आप सबका सादर आभार।

Comment by mrs manjari pandey on July 3, 2014 at 9:04pm
आदरणीया कल्पना जी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई
Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 3, 2014 at 3:25pm
आदरणीया कल्पना जी ..अतीत की सुनहरी यादों में डुबोती आपकी यह रचना आपके लेखन के अतीत के अपनी सभ्यता संस्कारों से जोड़ने वाली रचनाओं की माला की एक शानदार कड़ी है ..आपके ख्वाब पूरे हों आपको गीतों ग़ज़लों का खज़ाना मिले तो हम भी उस खजाने से मालामाल हो सकें इसी कामना और हार्दिक बध्गाई के साथ सादर
Comment by Tilak Raj Kapoor on July 3, 2014 at 1:25pm

बहुत खूब कल्‍पना जी। 

Comment by वेदिका on July 1, 2014 at 11:25pm
जिस जगह उनसे मिली पहली दफा,
उस गली का वो मुहाना चाहिए। ..... क्या खूब मासूम जिद से भरा शेर
चुभ रही आबोहवा शहरी बहुत,
गाँव में इक आशियाना चाहिए। .... बहुत खूब चाह
मतले से मक्ता तक बहुत शानदार गजल!
बधाई आ0 कल्पना दीदी!
Comment by vijay nikore on July 1, 2014 at 4:17pm

बहुत ही खूबसूरत गज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service