For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हुई न खत्म मेरी दास्ताने ग़म यारो- ग़ज़ल

1212 1122 1212 22

हुई न खत्म मेरी दास्ताने ग़म यारो

हरेक लफ़्ज़ अभी अश्क़ से है नम यारो

 

है ज़िन्दगी तो यहाँ मुश्किलात भी होंगी

चलो जियें इसे हर सांस दम ब दम यारो

 

इधर चराग का जलना उधर हवा की रौ

ये मेरा ज़ोरे जिगर और वो सितम यारो

 

लिबास ही से न होगा कभी नुमायाँ सच

सफ़ेदपोश तो लगते हैं मुह्तरम यारो

 

रहा न बस कोई तहरीर पर किसी का अब

चलाना भूल गईं उँगलियाँ क़लम यारो

 

मैं रफ़्ता- रफ़्ता उबरने लगा हवादिस से

कि हौसला मेरे दिल में कहाँ है कम यारो

 

मुह्तरम =सम्माननीय

तहरीर =लिखावट

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 24, 2014 at 5:05pm

हरेक शे र में मुझको लगे है दम यारों

हरूफ अब मुझे लगने लगे हैं कम यारों

सच है भाई शिज्जू , बहुत लाजवाब गज़ल कही , सराहना के लिये शब्द नही मिल पाये । मेरी निगाह मे अब तक की पढी आपकी गज़लों में ऊपर के तीन मे ये ग़ज़ल लगी । दुआ करता हूँ , ईश्वर आपकी कही  ऐसी और ग़ज़लें पढवायें ॥ दिली बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 24, 2014 at 8:25am

आदरणीया कुन्ती जी आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 24, 2014 at 8:24am

आदरणीया राजेश दीदी आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 24, 2014 at 8:24am

आदरणीय अभिनव अरुण जी आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 24, 2014 at 8:23am

आदरणीय सुशील सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 24, 2014 at 8:22am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर लगातार तीसरी बार रचना आपकी सर्वप्रथम प्रतिक्रिया मेरा उत्साह बढ़ा है, रचना को समय देने के लिये एवं सराहना के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया। स्नेह यूँ ही बनाये रखें।

सादर,

Comment by coontee mukerji on June 24, 2014 at 1:18am

मैं रफ़्ता- रफ़्ता उबरने लगा हवादिस से

कि हौसला मेरे दिल में कहाँ है कम यारो....बहुत खूब.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 23, 2014 at 9:04pm

इधर चराग का जलना उधर हवा की रौ

ये मेरा ज़ोरे जिगर और वो सितम यारो-----बेहद खूबसूरत अशआर 

 

मैं रफ़्ता- रफ़्ता उबरने लगा हवादिस से

कि हौसला मेरे दिल में कहाँ है कम यारो-----गजब के आत्मविश्वास से भरा 

बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है शिज्जू भाई ,दिली दाद कबूलें 

 

Comment by Abhinav Arun on June 23, 2014 at 7:17pm
वाह आदरणीय श्री शिज्जू जी सुन्दर प्रभावी भावपूर्ण ग़ज़ल ..
इधर चराग का जलना उधर हवा की रौ

ये मेरा ज़ोरे जिगर और वो सितम यारो
लाजवाब ..दिली मुबारकबाद इस ग़ज़ल के लिए !!
Comment by Sushil Sarna on June 23, 2014 at 12:21pm

हुई न खत्म मेरी दास्ताने ग़म यारो
हरेक लफ़्ज़ अभी अश्क़ से है नम यारो

है ज़िन्दगी तो यहाँ मुश्किलात भी होंगी
चलो जियें इसे हर सांस दम ब दम यारो ........वाआआआआआआअह बेहद खूबसूरत अल्फ़ाज़ों से सजी इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय शिज्जु शकूर जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service