For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुद रूठूँ और खुद मन जाऊं ……

खुद रूठूँ और खुद मन जाऊं ……

खुद रूठूँ और खुद मन जाऊं
प्रीतम तुझ को कैसे बुलाऊँ

पल-पल ..तेरी राह निहारूं
एकांत पलों में तुझे पुकारूं
जीने की कोई आस बता दे
किस मूरत से .नेह लगाऊं

खुद रूठूँ और खुद मन जाऊं
प्रीतम तुझ को .कैसे बुलाऊँ

भोर व्यर्थ मेरी .साँझ व्यर्थ है
तुझ बिन मेरी प्यास व्यर्थ है
अंबर के घन .कुछ तो कह तू
कैसे नयन का ...नीर छुपाऊँ

खुद रूठूँ और खुद मन जाऊं
प्रीतम तुझ को .कैसे बुलाऊँ

तड़पत-तड़पत .रैन बिताऊं
रुष्ट पलों से तन्हा बतियाऊं
नन्हे जुगनू .मुझको बता दे
स्मृति से उन्हें कैसे भुलाऊँ

खुद रूठूँ और खुद मन जाऊं
प्रीतम तुझ को .कैसे बुलाऊँ

पुष्प बिना तो शूल व्यर्थ है
जीने का हर उसूल व्यर्थ है
विरह पलों को ...देते सांसें
मधु स्वरों को कैसे भुलाऊँ

खुद रूठूँ और खुद मन जाऊं
प्रीतम तुझ को कैसे बुलाऊँ


सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2014 at 6:10pm

 आदरणीय अन्नपूर्णा बाजपाई जी   रचना पर आपकी  आत्मीय  प्रशंसा का हार्दिक आभार

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2014 at 6:09pm

 आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी   रचना पर आपकी  आत्मीय  प्रशंसा का हार्दिक आभार

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2014 at 6:07pm

 आदरणीया मीना पाठक जी   रचना पर आपकी  आत्मीय  प्रशंसा का हार्दिक आभार

Comment by annapurna bajpai on June 4, 2014 at 7:51am

वाह !!! क्या ही सुंदर रचना हुई है , बधाई आपको आ0 सुशील सरन जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 3, 2014 at 10:13pm

आदरणीय सुशील सरन भाई , लाज`वाब विरह गीत की रचना की है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Meena Pathak on June 3, 2014 at 10:09pm

पुष्प बिना तो शूल व्यर्थ है 
जीने का हर उसूल व्यर्थ है 
विरह पलों को ...देते सांसें 
मधु स्वरों को कैसे भुलाऊँ

खुद रूठूँ और खुद मन जाऊं 
प्रीतम तुझ को कैसे बुलाऊँ.......................... सुन्दर अभिव्यक्ति ,, बधाई | सादर 

Comment by Sushil Sarna on June 2, 2014 at 10:21am

आदरणीय जितेन्द्र जी   रचना पर आपकी मधुर  अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 2, 2014 at 10:19am

आदरणीया कुंती मुख़र्जी  रचना पर आपकी मुक्त स्नेहिल अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 2, 2014 at 10:18am

आदरणीया लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला जी  रचना पर आपकी मुक्त आत्मीय  सराहना का हार्दिक आभार। 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 1, 2014 at 11:50pm

विरह की वेदना को बहुत सुन्दरता से संजोया है आपने आदरणीय शुशील जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
12 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
14 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
15 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
15 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
15 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service