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ग़ज़ल - कोयला दहके तो अच्छा है ( गिरिराज भंडारी )

2122     2122     2122     2

अब हवा है , कोयला दहके तो अच्छा है        

देख ले ये बात भी कहके तो अच्छा है

 

खूब झेला पतझड़ों को, अब कोई कोना

इस चमन का भी ज़रा महके तो अच्छा है

 

सीलती सी, उस अँधेरी झोपड़ी में भी ,

देखते हैं आप जो रहके , तो अच्छा है

 

कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का

दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है

 

ज़िन्दगी बेस्वाद लगती है लकीरों में

अब क़दम थोड़ा अगर, बहके तो अच्छा है

 

इन सजावट के सभी हर्फों को झूठा मान  

झाँक नीचे, ऊपरी तह के तो अच्छा है  

*************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित  ( संशोधित )

 

Views: 969

Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 20, 2014 at 6:26pm

आदरणीय आशुतोष भाई , ग़ज़ल आपको पसंद आयी , गज़ल कहना सफल हुआ , आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 20, 2014 at 6:25pm

आदरनीय बड़े भाई विजय जी , ग़ज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 20, 2014 at 5:24pm

मित्र

हवा है तभी तो कोयला अच्छा दहका है  i

सदस्यता की बधाई  i

Comment by gumnaam pithoragarhi on May 20, 2014 at 4:08pm

भाईसाब ..बेहतरीन ग़ज़ल लिए बधाई।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 20, 2014 at 1:05pm

खूब झेला पतझड़ों को, अब कोई कोना

इस चमन का भी ज़रा महके तो अच्छा है

इन सजावट के सभी हर्फों को झूठा मान  

झाँक नीचे, ऊपरी तह के तो अच्छा है  ....आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..बेहतरीन ग़ज़ल लिए तहे दिल बधायी  इन शेरोन के लिए बिशेष रूप से बधाई स्वीकार करें ..सादर 

Comment by vijay nikore on May 20, 2014 at 12:05pm

ज़ोरदार गज़ल है।

 

ज़िन्दगी बेस्वाद लगती है लकीरों में

अब क़दम थोड़ा अगर, बहके तो अच्छा है//  .... इसमें आपने ’उधर" को "अगर" कर दिया है तो यह शे’र बहुत ही अच्छा बना है।

 

संशोधन के बाद शे’र सारे ही अच्छे लगे। हाँ, शे’रों के कथन  में यदि अधिक सम्बन्ध होता तो और भी मज़ा आता।

 

मेरे कहने का अभिप्राय यह नहीं कि गज़ल अच्छी नहीं है... गज़ल बहुत अच्छी है। दाद देता हूँ ... बधाई।

 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 19, 2014 at 8:25pm

आदरनीय धर्मेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥ 

भाई जी , आपकी सलाह उचित है , दोनो शे रों मे सुधार की आवश्यकता है , प्रयास मे हूँ , सूझते ही सुधार कर लूँगा ॥ आपका आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 19, 2014 at 8:20pm

आदरणीया सरिता जी , आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 19, 2014 at 8:20pm

आदरणीय मदन मोहन भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका दिली शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 19, 2014 at 8:19pm

आदरणीया मीना जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

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