For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - वतन को लहू की नज़र कर दिया है - इमरान

122 122 122 122

सियासी जमातो! ग़दर कर दिया है,
वतन को लहू की नज़र कर दिया है।

निशाँ भी नहीं है कहीं रोशनी का,
के हर सू अँधेरा अमर कर दिया है।

डरी और सहमी है औलादे आदम,
ज़हन पर कुछ ऐसा असर कर दिया है।

नई नस्ले नफरत को पाने की धुन में,
रगों में रवाना ज़हर कर दिया है।

यहाँ कल तलक थी हज़ारों की बस्ती,
बताओ के उसको किधर कर दिया है।

ये वादा था सिस्टम बदल देंगे सारा,
मगर और देखो लचर कर दिया है।

गबन बेतहाशा किये इतने सारे,
के क़ौमी ख़ज़ाना सिफर कर दिया है।

निगाहों से अंधा व कानों से बहरा,
अपाहिज नगर का नगर कर दिया है।

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 726

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2014 at 2:16am

समसामयिकता को बखूबी स्वर मिले हैं.  बहुत खूब !

दाद कुबूल करें भाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 23, 2014 at 1:11pm

हालाते हाज़रा पर बहुत ही शानदार पुरसर अश'आर हुए हैं आ० इमरान खान जी 

डरी और सहमी है औलादे आदम,
ज़हन पर कुछ ऐसा असर कर दिया है।...........बहुत खूब 

निगाहों से अंधा व कानों से बहरा,
अपाहिज नगर का नगर कर दिया है।.............उफ्फ! कितनी लाचारगी है.न दिखाई देता है न सुनायी देता है..की लोग चाहते ही नहीं देखना और सुनना ...बहुत खूब 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by नादिर ख़ान on April 17, 2014 at 11:23pm

अदरणीय इमरान भाई सभी अशआर रवानगी लिए हुये हैं। कहने का अंदाज़ भी बहुत उम्दा है। हमारी तरफ से शानदार गज़ल के लिए मुबारकबाद ..

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 17, 2014 at 5:39pm

बहुत खूब इमरान साहब, अच्छी ग़ज़ल है। दाद कुबूलें।

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 17, 2014 at 3:01pm

आदरणीय इमरान साहेब
खूब तंज़ किया है आपने.. अच्छे अश्आर कहे है आपने.

ये वादा था सिस्टम बदल देंगे सारा,
मगर और देखो लचर कर दिया है।

गबन बेतहाशा किये इतने सारे,
के क़ौमी ख़ज़ाना सिफर कर दिया है।

निगाहों से अंधा व कानों से बहरा,
अपाहिज नगर का नगर कर दिया है।

 

बहुत खूब
 

Comment by इमरान खान on April 17, 2014 at 2:21pm
आपकी सराहना पर हार्दिक धन्यवाद जनाब चन्द्र शेखर पाण्डेय साहब
Comment by इमरान खान on April 17, 2014 at 2:19pm
डा0 आशुतोष साहब गजल को इतना मान देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by इमरान खान on April 17, 2014 at 2:13pm
जनाब गिरीराज भण्डारी साहब हौसला अफज़ाई पर आपका पुर खुलूस शुक्रिया
Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on April 16, 2014 at 12:58pm

वाह जनाब क्या गजल कही है, 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 16, 2014 at 12:33pm

आदरणीय इमरान जी बेहतरीन ग़ज़ल ..हर शेर उम्दा है ..बिशेष रूप से ये शेर मुझे बेहद भाये ..आपको तहे इल बधाई के साथ सदर 

नई नस्ले नफरत को पाने की धुन में,
रगों में रवाना ज़हर कर दिया है।

ये वादा था सिस्टम बदल देंगे सारा,
मगर और देखो लचर कर दिया है।

निगाहों से अंधा व कानों से बहरा,
अपाहिज नगर का नगर कर दिया है  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service