For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाँव , मसान एवं गुडगाँव

गाँव की फिजाओं में
अब नहीं गूंजते
बैलों के घूँघरू ,
रहट की आवाज.
नहीं दिखते मक्के के खेत
और ऊँचे मचान .
उल्लास हीन गलियां
सूना दृश्य
मानो उजड़ा मसान.
नहीं गूंजती  गांवों में
ढोलक की थाप पर
चैता की तान
गाँव में नहीं रहते अब
पहले से बांके जवान.
गाँव के युवा गए सूरत, दिल्ली और
गुडगांव
पीछे हैं पड़े
बच्चे , स्त्रियाँ, बेवा व बूढ़े
गाँव के स्कूलों में शिक्षा की जगह
बटती है खिचड़ी.
मास्टर साहब का ध्यान,
अब पढ़ाने में नहीं रहता.
देखतें हैं, गिर ना जाये
खाने में छिपकली.
गाँव वाले कहते हैं,
स्साला मास्टर चोर है.
खाता है बच्चों का अनाज
साहब से साला बने मास्टर जी
सोचते हैं,
किस किस को दूँ अब खर्चे का हिसाब.
चढ़ावा ऊपर तक चढ़ता है तब जाकर कहीं
स्कूल का मिलता है अनाज ..
इन स्कूलों में पढ़कर,
नहीं बनेगा कोई डॉक्टर और इंजीनियर
बच्चे बड़े होकर बनेगें मजदूर
जायेंगे कमाने
सूरत, दिल्ली , गुडगाँव
या तलाशेंगे कोई और नया ठाँव.

...... नीरज कुमार नीर

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 7, 2014 at 11:25pm

आप अपनी प्रतिक्रिया में जिन  क्षेत्रों की जानकारी बयां कर रहे है केवल वहीं नही, यह हालात देश में सभी क्षेत्रों में है.।

सुंदर सार्थक रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय नीरज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 7, 2014 at 8:12pm

एक शिक्षक की विवशता को आपने बड़ी खूबसूरती से शब्दबद्ध किया है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by coontee mukerji on April 7, 2014 at 3:58pm

आज के समाज  का एक ज्वलंत चित्र.नीरज कुमार जी हार्दिक बधाई.

Comment by Neeraj Neer on April 7, 2014 at 8:21am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 6, 2014 at 9:06pm

आदरणीय नीरज भाई , बहुत सुन्दर रचना लगी , कमो बेश हर गाँव के हर स्कूलों का यही हाल है , !! एक कड़वी सच्चाई बयान की है आपने , बधाइयाँ आपको ॥

Comment by Neeraj Neer on April 6, 2014 at 8:00pm

जो लोग झारखण्ड, बिहार या UP के पूर्वांचल के गांवो से सरोकार रखते हैं,   मुझे उम्मीद है वे मेरी इस कविता के भाव से अवश्य सहमत होंगे .. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service