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जो भूखा रो रहा उसको नही रोटी खिलाते हैं

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

जो भूखा रो रहा उसको नही रोटी खिलाते हैं

जो बुत हैं मौन मंदिर में उन्हें सब सर झुकाते हैं

 

जिकर होता है जिसका दोस्तों हर सांस में मेरी

मेरे दुश्मन का लेके नाम वो मेंहदी रचाते है  

 

जहाँ भी चाहते दिल फेंकते आदत है ये उनकी

नजर जब हमसे मिलती है तो वो कितना लजाते हैं

 

सजाये थे गुलाबी पांखुरी से पथ मगर अब क्या

जो पल्लू झाड़ियों में खुद ही अब उलझाये जाते हैं

 

गुलाबों की भी किस्मत आशु तुमसे कितनी अच्छी है

हसी के हाथ चूमे और फिर गेसू सजाते हैं

 

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by MAHIMA SHREE on April 3, 2014 at 8:32pm

जो भूखा रो रहा उसको नही रोटी खिलाते हैं

जो बुत हैं मौन मंदिर में उन्हें सब सर झुकाते हैं.... बहुत खूब आ. आशुतोष जी हार्दिक बधाई आपको /सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 3, 2014 at 11:35am

बहुत सुंदर गजल कही आपने

जहाँ भी चाहते दिल फेंकते आदत है ये उनकी

नजर जब हमसे मिलती है तो वो कितना लजाते हैं

 

सजाये थे गुलाबी पांखुरी से पथ मगर अब क्या

जो पल्लू झाड़ियों में खुद ही अब उलझाये जाते हैं...........वाह! बहुत खूब . इन शेर पर विशेष बधाई आदरणीय डा. आशुतोष जी

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on April 2, 2014 at 11:21pm

सजाये थे गुलाबी पांखुरी से पथ मगर अब क्या

जो पल्लू झाड़ियों में खुद ही अब उलझाये जाते हैं |   वाह, सुन्दर ! 

Comment by Omprakash Kshatriya on April 2, 2014 at 3:22pm

जो भूखा रो रहा उसको नही रोटी खिलाते हैं

जो बुत हैं मौन मंदिर में उन्हें सब सर झुकाते हैं----------------------सब से बढ़िया शेर . बधाई 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 2, 2014 at 8:33am
आदरणीय आशुतोष जी! अति उत्तम गजल है, सुन्दर भावों में पगी हुई। बधाई
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2014 at 10:50am

आदरणीया वंदना जी ..आपके शब्दों से मुझे सदैव उर्जा मिलती है ..आपका तहे दिल आभारी हूँ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2014 at 10:49am

आदरणीय अन्नपूरना जी ...हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद  सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2014 at 10:48am

चंद्रशेखरजी ..रचना पर आपके प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2014 at 10:47am

आदरणीय शिज्जू जी ..बस यूं ही स्नेह बनाए रखें सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2014 at 10:47am

आदरणीया कुंती  जी ..आप सब का आशीर्वाद बस यूं ही मिलता रहे इसी कामना के साथ सादर 

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