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राजनीति में पार्टियाँ निभा रहीं पहचान
डंडे पत्थर गालियों  का आदान-प्रदान

जो बोले तू झूठ वो   मैं बोलूँ वो तथ्य
लफ़्फ़ाज़ी के रंग में लिपा-पुता हर कथ्य

झंडे टोपी भीड़ से  रोचक दिखे प्रसंग
देख जमूरा नाचता पब्लिक होती दंग  

जो जितना दम चीखता, उतना पाये मान
लोकतंत्र का रूप यह, अब इसकी पहचान  

तूने खाया आजतक, अब खाने दे यार’
लक्कड़-बग्घा  लोमड़ा, चट्टे-बट्टे यार
**************
--सौरभ
**************

(मौलिक और अप्रकाशित)

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2014 at 10:51pm

भाई विशाल चर्चितजी, हार्दिक धन्यवाद

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on March 31, 2014 at 5:17pm

तूने खाया आजतक, अब खाने दे यार’ 
लक्कड़-बग्घा  लोमड़ा, चट्टे-बट्टे यार

हा हा हा हा........ वैसे तो सारे दोहे अच्छे हैं पर ये वाला लाजवाब हो गया सर !!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 6:38pm

प्रस्तुति पर आपने समय दिया, यह उत्साहवर्द्धक है.

आप सुधीजनों के प्रति मेरा हार्दिक आभार .. .

Comment by Savitri Rathore on March 11, 2014 at 4:14pm

आ० सौरभ जी,सादर नमस्कार !
वर्तमान परिस्थितियों पर आधारित सार्थक व सटीक रचना,बधाई हो।

Comment by vandana on March 11, 2014 at 5:38am


जो बोले तू झूठ वो   मैं बोलूँ वो तथ्य 
लफ़्फ़ाज़ी के रंग में लिपा-पुता हर कथ्य 

तूने खाया आजतक, अब खाने दे यार’ 
लक्कड़-बग्घा  लोमड़ा, चट्टे-बट्टे यार 

बहुत बढ़िया व्यंग्यात्मक दोहे आदरणीय सर 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 9, 2014 at 5:55pm

आदरणीय सौरभ भाईजी, 

दोहे बड़े सटीक हैं, नेताओं पर वार।

पढ़ते तो वो  झेलते, सौरभजी की मार॥

सामयिक व्यंग्य पर हार्दिक बधाई ,

Comment by Satyanarayan Singh on March 8, 2014 at 2:48pm
परम आ. सौरभ जी सादर

सामयिक चुनावी दोहावली हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2014 at 8:13am

वर्तमान में चुनावी माहौल पर हो रही राजनीति का सच्चा चिटठा खोलती दोहावली पर आपको हार्दिक बधाई आदरणीय सौरभ जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 8, 2014 at 8:10am

आदरणीय सौरभ सर, आज की राजनीति का सच उजागर करते सार्थक दोहों के लिये आपको बहुत बहुत बधाई
सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 7, 2014 at 9:32pm

हर दोहा आज की राजनीति के मुख पर एक तमाचा है ,कितनी आपा धापी ,मार पीट ,पहले टिकट के लिए फिर वोट के लिए ,हर पार्टी सच में एक तमाशा है ,समसामयिक दोहे पढ़ कर मजा आ गया --

तूने खाया आजतक, अब खाने दे यार’ 
लक्कड़-बग्घा  लोमड़ा, चट्टे-बट्टे यार ----- बहुत लाजबाब दोहा ..गिरगिट भी जोड़ लीजिये :)

बहुत बहुत बधाई आपको आ० सौरभ जी, इन शानदार दोहों के लिए. 
*****

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