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ताब जो मेरे इरादों में है- शिज्जु

2122 1122 22/112

 

तिश्नगी में न सराबों में है

ताब जो मेरे इरादों में है

 

चहचहाते हुये पंछी ये कहें

ज़िन्दगी अब भी खराबों में है

 

ध्यान से पहले सुनो फिर समझो

क्या हकीकत मेरे दावों में है

 

बादलों की ये शरारत है जो

चाँद का नूर हिजाबों में है

 

अब तलक तेरी ज़ुबाँ पे थी वो

बात अब मेरे सवालों में है

 

काम आयेगी अकीदत आखिर

ऐसी तासीर दुआओं में है

ताब= शक्ति, सराब= मरीचिका, खराबा= खण्डहर

तासीर= असर, अकीदत= विश्वास

 

-मौलिक तथा अप्रकाशित

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Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 10:04pm

बहुत खुबसूरत गज़ल भाई सिज्जू जी   // हार्दिक बधाई आपको 

Comment by MAHIMA SHREE on January 14, 2014 at 9:33pm

तिश्नगी में न सराबों में है

ताब जो मेरे इरादों में है

 

चहचहाते हुये पंछी ये कहें

ज़िन्दगी अब भी खराबों में है...वाह वाह ..क्या बात है ....हार्दिक बधाई आ. शिज्जू जी खुबसूरत गज़ल पर आपको

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 12, 2014 at 11:28pm

बेहतरीन गजल हुयी आदरणीय शिज्जू जी, उर्दू शब्दों के अर्थ स्पष्ट करने से हम जैसे पाठकों को सरलता हो जाती है यह शेर बहुत पसंद हुआ, दाद कुबूल कीजिये

काम आयेगी अकीदत आखिर

ऐसी तासीर दुआओं में है

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 12, 2014 at 5:06pm

आदरणीय शुज्जू जी ..उर्दू के तमाम नए शब्दों से रूबरू होने का मौका मिला और उनके प्रयोग को सीखा..

बादलों की ये शरारत है जो

चाँद का नूर हिजाबों में है  बेहतरीन ग़ज़ल का ये शेर मुझे बेहद भाया ..तहे दिल बधाई के साथ ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2014 at 8:41am

आदरणीय शिज्जू भाई , लाजवाब ग़ज़ल हुई है , आपको बहुत बहुत बधाइयाँ ॥

बादलों की ये शरारत है जो

चाँद का नूर हिजाबों में है ----------- वाह वाह भाई जी बहुत सुन्दर शेअर कहे , बधाई ॥

Comment by ajay sharma on January 11, 2014 at 10:02pm

काम आयेगी अकीदत आखिर

ऐसी तासीर दुआओं में है..........wah sir ji  wah wah


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 11, 2014 at 9:02pm

आदरणीया कुन्ती जी रचना को मान देने के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 11, 2014 at 9:02pm

आदरणीय अभिनवजी आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 11, 2014 at 9:01pm

आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार

Comment by coontee mukerji on January 11, 2014 at 4:32pm

बादलों की ये शरारत है जो

चाँद का नूर हिजाबों में है....बहुत  सुंदर

कृपया ध्यान दे...

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