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नूतन साल आया (गज़ल) - कल्पना रामानी

212221222122

 

पूर्ण कर अरमान, नूतन साल आया।

जाग रे इंसान, नूतन साल आया।

 

ख़ुशबुओं से तर हुईं बहती हवाएँ,

थम गए तूफान, नूतन साल आया।

 

गत भुलाकर खोल दे आगत के द्वारे,

छेड़ दे जय गान, नूतन साल आया।

 

कर विसर्जित अस्थियाँ गम के क्षणों की,

बाँटकर मुस्कान, नूतन साल आया। 

 

मन ये तेरा अब किसी भी लोभ मद से,

हो न पाए म्लान, नूतन साल आया।

 

पूछता है रब कि  तेरी, क्या रज़ा है,

माँग ले वरदान, नूतन साल आया।

 

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने,

चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

 

मनुजता तेरी, कहीं प्राणी  जतन बिन,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 11:54am

आदरणीया कल्पना जी ,  बेमिसाल हिन्दी गज़ल कही है आपने , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by नादिर ख़ान on December 31, 2013 at 11:05pm

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने,

चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

 

यत्न कर प्राणी, कहीं तेरी मनुजता,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।

आदरणीय कल्पना रमणी जी, नये  साल का स्वागत करती शानदार गज़लके लिए आपको ढेरों शुभकामनायें और नए साल की मुबारक बाद भी ....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 31, 2013 at 8:54pm

सुंदर गजल आदरणीया कल्पना जी, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें आपको

Comment by कल्पना रामानी on December 31, 2013 at 8:31pm

उत्साहवर्धक टिप्पणी केलिए सादर धन्यवाद , अन्नपूर्णा जी, नया साल आपके लिए मंगलमय हो

Comment by कल्पना रामानी on December 31, 2013 at 8:30pm

आदरणीय सत्यनारायन जी, सादर धन्यवाद, नव वर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ...

Comment by कल्पना रामानी on December 31, 2013 at 8:29pm

आदरणीय लड़ीवाला जी, सादर धन्यवाद, नव वर्ष की मंगल कामनाएँ....

Comment by कल्पना रामानी on December 31, 2013 at 8:27pm

आदरणीया महिमा जी, सुंदर टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद, नए वर्ष की शुभकामनाओं के साथ

Comment by annapurna bajpai on December 31, 2013 at 8:10pm

रब रहा है पूछ तेरी, क्या रज़ा है,

माँग ले वरदान, नूतन साल आया।

 

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने,

चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

 

यत्न कर प्राणी, कहीं तेरी मनुजता,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।................... कितने सुंदर अशर , पूरी गजल ही खूबसूरत बन पड़ी है , आ0 कल्पना दी बधाई आपको । 

Comment by MAHIMA SHREE on December 31, 2013 at 8:05pm

गत भुलाकर खोल दे आगत के द्वारे,

छेड़ दे जय गान, नूतन साल आया।

 

रब रहा है पूछ तेरी, क्या रज़ा है,

माँग ले वरदान, नूतन साल आया।

 

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने,

चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

 

यत्न कर प्राणी, कहीं तेरी मनुजता,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।.... वाह वाह आदरणीया कल्पना दी .. बहुत ही सुंदर ..आनंद आ गया .. पढ़ कर मन को बड़ा ही सुकून  मिला ... शानदार .. नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें .

Comment by Satyanarayan Singh on December 31, 2013 at 5:11pm
आ, कल्पना रामानी जी सादर

नव वर्ष पर आधारित इस प्रस्तुति हेतु आपको नव वर्ष की मंगल कामनाओं सहित हार्दिक बधाई.

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