For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नूतन साल आया (गज़ल) - कल्पना रामानी

212221222122

 

पूर्ण कर अरमान, नूतन साल आया।

जाग रे इंसान, नूतन साल आया।

 

ख़ुशबुओं से तर हुईं बहती हवाएँ,

थम गए तूफान, नूतन साल आया।

 

गत भुलाकर खोल दे आगत के द्वारे,

छेड़ दे जय गान, नूतन साल आया।

 

कर विसर्जित अस्थियाँ गम के क्षणों की,

बाँटकर मुस्कान, नूतन साल आया। 

 

मन ये तेरा अब किसी भी लोभ मद से,

हो न पाए म्लान, नूतन साल आया।

 

पूछता है रब कि  तेरी, क्या रज़ा है,

माँग ले वरदान, नूतन साल आया।

 

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने,

चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

 

मनुजता तेरी, कहीं प्राणी  जतन बिन,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 920

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 11:54am

आदरणीया कल्पना जी ,  बेमिसाल हिन्दी गज़ल कही है आपने , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by नादिर ख़ान on December 31, 2013 at 11:05pm

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने,

चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

 

यत्न कर प्राणी, कहीं तेरी मनुजता,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।

आदरणीय कल्पना रमणी जी, नये  साल का स्वागत करती शानदार गज़लके लिए आपको ढेरों शुभकामनायें और नए साल की मुबारक बाद भी ....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 31, 2013 at 8:54pm

सुंदर गजल आदरणीया कल्पना जी, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें आपको

Comment by कल्पना रामानी on December 31, 2013 at 8:31pm

उत्साहवर्धक टिप्पणी केलिए सादर धन्यवाद , अन्नपूर्णा जी, नया साल आपके लिए मंगलमय हो

Comment by कल्पना रामानी on December 31, 2013 at 8:30pm

आदरणीय सत्यनारायन जी, सादर धन्यवाद, नव वर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ...

Comment by कल्पना रामानी on December 31, 2013 at 8:29pm

आदरणीय लड़ीवाला जी, सादर धन्यवाद, नव वर्ष की मंगल कामनाएँ....

Comment by कल्पना रामानी on December 31, 2013 at 8:27pm

आदरणीया महिमा जी, सुंदर टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद, नए वर्ष की शुभकामनाओं के साथ

Comment by annapurna bajpai on December 31, 2013 at 8:10pm

रब रहा है पूछ तेरी, क्या रज़ा है,

माँग ले वरदान, नूतन साल आया।

 

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने,

चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

 

यत्न कर प्राणी, कहीं तेरी मनुजता,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।................... कितने सुंदर अशर , पूरी गजल ही खूबसूरत बन पड़ी है , आ0 कल्पना दी बधाई आपको । 

Comment by MAHIMA SHREE on December 31, 2013 at 8:05pm

गत भुलाकर खोल दे आगत के द्वारे,

छेड़ दे जय गान, नूतन साल आया।

 

रब रहा है पूछ तेरी, क्या रज़ा है,

माँग ले वरदान, नूतन साल आया।

 

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने,

चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

 

यत्न कर प्राणी, कहीं तेरी मनुजता,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।.... वाह वाह आदरणीया कल्पना दी .. बहुत ही सुंदर ..आनंद आ गया .. पढ़ कर मन को बड़ा ही सुकून  मिला ... शानदार .. नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें .

Comment by Satyanarayan Singh on December 31, 2013 at 5:11pm
आ, कल्पना रामानी जी सादर

नव वर्ष पर आधारित इस प्रस्तुति हेतु आपको नव वर्ष की मंगल कामनाओं सहित हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service