For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्कूल के कुछ दोस्त मिलकर घर में पड़े पुराने कम्बल गरीबों में बाँटने को निकले। कम्बल बाँट कर वे ज्यों ही वापस चलने को हुए, एक बुजुर्ग ने आवाज़ लगाई ………

"बबुआ जी तनिक सुनो"

"जी बाबा, आपको तो कम्बल दे दिया न ?"

"जी बबुआ जी, कम्बल तो दिया और फिर आप लोग ऐसे ही चल दिए"
"ऐसे ही चल दिए मतलब ?"

"बबुआ जी, पिछले तीन दिन से चमचमाती गाड़ियों में साहब लोग आते हैं, कम्बल बाँट कर फ़ोटो खिचवाते हैं और फिर २०-२० रूपया देकर कम्बल वापस ……… "

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट =>कीमत

Views: 1227

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on December 24, 2013 at 3:09pm

आज के तथाकथिक दिखावे की मदद करने वालों के कृत्य  करारा  प्रहार करती लघुकथा  आ।  श्री  बागी जी , साधुवाद , और शुभकामनायें !!


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 24, 2013 at 2:56pm

हकीकत को कलमबंद करने का बेहद सुन्दर प्रयास हुआ है भाई गणेश बागी जी. रचना विषय के साथ साथ शीर्षक के साथ भी पूरा न्याय कर रही है. मेरी दिली बधाई प्रेषित है.     

Comment by Meena Pathak on December 24, 2013 at 2:48pm

ओह !!

बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर कटाक्ष करती लघुकथा हेतु | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 24, 2013 at 1:50pm

बहुत जबरदस्त कटाक्ष असंवेदन शीलता की सारी हदें पार कर दी इन चमचमाती एक शब्द और जोड़ दूँ (रेड बत्ती वाली)कार वालों ने,ये कैसी समाज सेवा है बहुत-बहुत बधाई इस शानदार लघु कथा के लिए.   

Comment by Shyam Narain Verma on December 24, 2013 at 12:48pm
बहुत बढ़िया लघुकथा आदरणीय, हार्दिक बधाई स्वीकारें....
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 24, 2013 at 12:32pm

आह ----- आह----- आह-----

आदरणीय बागी जी  i लगता है  ' लघु कथा ' आपकी और आदरणीय प्रभाकर जी की USP है i तभी तो हमेशा एक सशक्त , मर्मस्पर्शी  शब्द चित्र लेकर आते  है i अभिभूत हूँ श्रीमन--------- i तथाकथित  वदान्य लोगो के दोहरे चरित्र से घिन आती है i इस जुगुप्सा को आपकी कथा ने और अधिक भास्वर कर दिया है i    गढ़न , कहन  सभी अनिवर्चनीय  i बहुत बहुत शाधुवाद i

Comment by anurag trivedi ehsaas on December 24, 2013 at 10:37am
बेहद भावपूर्ण व् मर्मस्पर्शी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 24, 2013 at 10:23am

बताइये समाज में ऐसे भी समाज सेवी होते हैं?
आदरणीय गणेश जी, सफेद पोशों के चेहरे से नकाब उतारती इस लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 24, 2013 at 9:51am

आदरणीय सलीम रज़ा जी, बहुत दिनों बाद आपका आना हो रहा है, लघुकथा पर आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्प्णी प्राप्त हुई, बहुत ही अच्छा लगा, बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 24, 2013 at 9:49am

आभार वीनस भाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
8 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
11 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय आज़ी जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
12 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
13 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय चेतन जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
13 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
14 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
15 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय यमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
17 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
18 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, आपकी इस इज़्ज़त अफ़ज़ाई के लिए आपका शुक्रगुज़ार रहूँगा। "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ भाई आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी ठीक है *इल्तिजा मस'अले को सुलझाना प्यार से ---जो चाहे हो रास्ता निकलने में देर कितनी लगती…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service