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रात को चाँद फिर आयेगा देखिये.

२१२  २१२   २१२     २१२

रात को चाँद फिर आयेगा देखिये

आके दिल फिर जला जायेगा देखिये

 

हम रहेंगे खड़े रात भर छत पे ही 

बादलों में वो छुप जायेगा देखिये

 

अपने दीवानों पे रोज ही इस तरह

चांद क्या क्या सितम ढायेगा देखिये

 

हम जिसे भूल पाए कभी हैं  नहीं

किस तरह वो भुला पायेगा देखिये

 

रंग गिरगिट के जैसे बदलता है जो 

कैसे वादे निभा पायेगा देखिये

 

चांदनी बन जमी पर उतरता रहा

खुद जमी पर वो कब आयेगा देखिये

 

फिर सितारों की बारात वो लायेगा

जलवे यूं रोज दिखलायेगा देखिये 

 

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 10:50pm

अंदाज़ में कही हुई मुसलसल ग़ज़ल है.

बधाई आदरणीय ..

Comment by vijay nikore on December 14, 2013 at 12:06am

इस सुन्दर गज़ल के लिए बधाई।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 13, 2013 at 1:38pm

आदरणीया प्राची जी ..मेरी ग़ज़ल आपको पसंद आयी ..मैं शुक्रगुजार हूँ ...आपकी उत्साहवर्धक टिप्पड़ी के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 13, 2013 at 1:35pm

आदरणीय शिज्जू जी .. आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..बस आप सब का सहयोग यूं ही मिलता रहे ...सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 13, 2013 at 1:33pm

आदरणीय वैद्यनाथ .जी उत्साहवर्धन के लिए तहे दिल शुक्रिया ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 13, 2013 at 1:33pm

आदरणीया कुंती जी ...मेरी ग़ज़ल आपको पसंद आयी  ..इससे निश्चित रूप से मेरा हौसला बढ़ा है ..आपका तहे दिल शुक्रिया ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 13, 2013 at 1:07pm

आदरणीय निलेश जी ..आपके मशविरे के लिए तहे दिल धन्यवाद ..रंग ही उपयुक्त होगा .. मैं इसमें परिवर्तन कर लूँगा ..बस यूं ही आप सभी का स्नेह सतत मिलता रहे इसी अभिलाषा के साथ ..सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 13, 2013 at 10:09am

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी 

सभी अशआर बहुत पसंद आये 

हार्दिक बधाई स्वीकार करें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 10:15pm

///फिर सितारों की बारात वो लायेगा

जलवे यूं रोज दिखलायेगा देखिये /// बहुत बढ़िया आदरणीय डॉ आशुतोष सर ये शे'र बहुत अच्छा लगा

Comment by Saarthi Baidyanath on December 12, 2013 at 8:07pm

एक अच्छी  ग़ज़ल हुई है ..मुबारक डॉक्टर साहेब 

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