For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-निलेश'नूर'-न समझो लड़ाई वो हारा हुआ है

१२२/१२२/१२२/१२२ 

न समझो लड़ाई वो हारा हुआ है,
उसे हारने का इशारा हुआ है.
***

उसे चाँद तारों की संगत मिली थी,
वो आवारगी में हमारा हुआ है.

***

मरूँगा, बचूंगा, नहीं है पता ये,
मगर वार दिल पे, करारा हुआ है.

***

बचा है वो ऐसे, जिसे डूबना था,      
कि फिर कोई तिनका सहारा हुआ है.  

***

सिकुड़ने लगा है मेरा आसमां अब,
नज़र से नज़र तक, नज़ारा हुआ है. 

***

वो आतिशफिशा था, मगर अब ये हालत,
कि बुझते बुझाते शरारा हुआ है.  

***

नदी की मुहब्बत में आँसूं बहाकर,
समंदर भी मीठे से खारा हुआ है.   

***

चढ़ा जो नशा वो भी उतरेगा इक दिन,
नशा ही नशे का उतारा हुआ है. 

***

वो दीपक भला क्यूँ डरेगा हवा से,
जो खुद आँधियों का सँवारा हुआ है.

***

मुझे देखकर मांग तू भी मुरादें,
तेरा ‘नूर’ टूटा सितारा हुआ है.

******************************************
निलेश 'नूर'
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 1030

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on December 13, 2013 at 2:22am

मरूँगा, बचूंगा, नहीं है पता ये,
मगर वार दिल पे, करारा हुआ है.

***

सिकुड़ने लगा है मेरा आसमां अब,
नज़र से नज़र तक, नज़ारा हुआ है. 

***

चढ़ा जो नशा वो भी उतरेगा इक दिन,
नशा ही नशे का उतारा हुआ है. 

***

वो दीपक भला क्यूँ डरेगा हवा से,
जो खुद आँधियों का सँवारा हुआ है.

***

क्या कहने भाई वाह


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 9:59pm

//वो दीपक भला क्यूँ डरेगा हवा से, 
जो खुद आँधियों का सँवारा हुआ है.//

//मरूँगा, बचूंगा, नहीं है पता ये,
मगर वार दिल पे, करारा हुआ है.//  
वाह बहुत बढ़िया आदरणीय निलेश जी बहुत खूब

पूरी ग़ज़ल अच्छी हुई है बधाई

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 12, 2013 at 9:18pm

धन्यवाद गणेश जी, आप की सलाह विचारणीय लगती है.
आभार   

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 12, 2013 at 9:18pm

धन्यवाद बैद्यनाथ जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 12, 2013 at 9:18pm

धन्यवाद कुंती मुखर्जी जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 12, 2013 at 9:17pm

शुक्रिया नादिर खान साहब 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 12, 2013 at 8:44pm

//न समझो लड़ाई वो (में) हारा हुआ है,
उसे हारने का इशारा हुआ है.// मिसरा उला बहुत स्पष्ट नहीं था जरा 'वो' की जगह 'में' कर के देखें, शायद आपको पसंद आये | 

//मरूँगा, बचूंगा, नहीं है पता ये,
मगर वार दिल पे, करारा हुआ है.// वाह वाह, यह शेर बहुत ही पसंद आया |

//नदी की मुहब्बत में आँसूं बहाकर,
समंदर भी मीठे से खारा हुआ है.// आहा ! बहुत ही सुन्दर शेर |

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर |

Comment by Saarthi Baidyanath on December 12, 2013 at 8:05pm

उसे चाँद तारों की संगत मिली थी,
वो आवारगी में हमारा हुआ है.

नदी की मुहब्बत में आँसूं बहाकर,
समंदर भी मीठे से खारा हुआ है........बेहद करारे शेर हैं साहब ...बधाई हो एक अच्छी ग़ज़ल के लिए ..:)

Comment by coontee mukerji on December 12, 2013 at 6:02pm

नदी की मुहब्बत में आँसूं बहाकर,
समंदर भी मीठे से खारा हुआ है. .........वाह......क्या बात है.

Comment by नादिर ख़ान on December 12, 2013 at 5:25pm

न समझो लड़ाई वो हारा हुआ है,
उसे हारने का इशारा हुआ है.

उसे चाँद तारों की संगत मिली थी,
वो आवारगी में हमारा हुआ है.

वाह नीलेश जी बहुत खूब कहा .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service