For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सीएफ़एल बोली, "हे बल्ब महोदय! आप ऊर्जा बहुत ज्यादा खर्च करते हैं और रोशनी बहुत कम देते हैं। मैं आपकी तुलना में बहुत कम ऊर्जा खर्च करके आपसे कई गुना ज्यादा रोशनी दे सकती हूँ।"

 

बल्ब महोदय ने चुपचाप सीएफ़एल के लिए कुर्सी खाली कर दी। रोशनी फैलाने वालों के इतिहास में बल्ब महोदय का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा गया।

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 820

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 7, 2014 at 10:21pm

SANDEEP KUMAR PATEL जी, coontee mukerji जी, Dr Ashutosh Mishra जी, अरुन शर्मा 'अनन्त' जी, Meena Pathak जी, Shubhranshu Pandey जी, जितेन्द्र 'गीत' जी, Dr.Prachi Singh जी एवं सौरभ जी आप सबको यह लघुकथा पसंद आई और आपने मेरा हौसला बढ़ाया इसके लिए तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हुँ। स्नेह बना रहे।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 18, 2013 at 11:34pm

आदरणीय धर्मेन्द्रजी,  लघुकथा ’बल्ब और सीएफ़एल’ पर खेद है विलम्ब से आ पारहा हूँ.

य़ह एक ऐसे उटोपियन समाज का स्वप्न दिखाती है जहाँ सरसतापूर्वक दायित्व का हस्तांतरण होता है. प्रबुद्ध परिवारों का यही चलन उन परिवारों के ऐतिहासिक संस्कार का कारण हुआ करता है. लेकिन शासन-सत्ता और राजनैतिक माहौल में ऐसे संस्कार का न होना वर्ग, विचार और पीढ़ियों में संघर्ष का कारण रहा है.


इस उन्नत लघुकथा के इंगितों के लिए हृदय से बधाई.
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 10, 2013 at 7:45pm

बल्ब महोदय का सी ऍफ़ एल के लिए कुर्सी खाली कर देना.............वाह बहुत सुन्दर बिम्ब के माध्यम से सधी हुई संदेशपरक और सफल लघुकथा के लिए हार्दिक शुभकामनाएं आ० धर्मेन्द्र कुमार जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 10, 2013 at 11:05am

परिवर्तन संसार का नियम है, आपकी लघुकथा पढ़कर मन में विचार आया कि अगर देश में चुनाव  होते है, जिसका पूरा खर्च जनता के कन्धों पर आता है, अगर इस से  प्रकार नेताओं को बदला जा सके तो,, खैर बहुत बढ़िया सन्देश देती लघुकथा पर बधाई स्वीकारें आदरणीय धर्मेन्द्र जी

Comment by Shubhranshu Pandey on December 9, 2013 at 7:20pm

आदरणीय धर्मेन्द्र जी, अभी सीएफ़एल है, फ़िर एल् ई डी लाइट आ कर इसे भी इतिहास के पन्नों पर लटका देगी.

मान मनौवल हो तब तक, आवश्यकता हो जब तक...उसके बाद इतिहास के क्लिप फ़ाइल में एक और पन्ना....

सुन्दर कथा. 

सादर.

Comment by Meena Pathak on December 9, 2013 at 2:32pm

बहुत सुन्दर, संदेशपरक लघुकथा हेतु बधाई स्वीकारें 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 1:48pm

लधुकथा के माध्यम से सुन्दर सन्देश दिया है आपने आदरणीय बधाई आपको

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2013 at 1:06pm

आदरणीय धर्मेन्द्र जी ,, इस बेहतरीन लघु कथा के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें ...सादर 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 8, 2013 at 9:29pm

आदरणीय  योगराज जी,  आपके इस स्नेह और मार्गदर्शन के लिये तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। आप जैसे वरिष्ठजनों का मार्गदर्शन नये रचनाकारों को वाचाल होने से बचा लेता है। आपसे सहमत हूँ और आखिरी पंक्ति हटा रहा हूँ ।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 8, 2013 at 6:01pm

बिलकुल नवीन और विलक्षण बिम्बों से सुसज्जित आपकी यह लघुकथा  प्रभावशाली हुई है आ० धर्मेन्द्र सिंह जी, जिसके लिए हार्दिक बधाई निवेदित है. लघुकथा की अंतिम पंक्ति हालाकि गैर ज़रूरी और बदमज़गी पैदा कर रही है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service