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2122 2122 2122 2121

ख़म नहीं ज़ुल्फ़ों के ये जिनको कि सुलझायेंगे आप 

उलझने हैं इश्क़ की फिर से उलझ जायेंगे आप

कौन कहता है मुहब्बत अक्स है तन्हाइयों का
हम न होंगे साथ जब साये से घबराएंगे आप

दे तो दोगे इस ज़माने के सवालो का जवाब
दिल नहीं सुनता किसी की कैसे समझायेंगे आप

जा रहे हो बे-रुखी से जान लो इतना ज़रूर
क़द्र जब होगी मुहब्बत कि बड़ा पछतायेंगे आप

जब कभी होगा यक़ीं बिस्मिल वफाओं का जनाब
देखना फिर खुद-ब-खुद ही लौटकर आयेंगे आप

ख़म=घुमाव
 

**((अय्यूब खान "बिस्मिल"))**

*मौलिक और अप्रकाशित 

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Comment by Ayub Khan "BismiL" on December 27, 2013 at 11:00pm

shukria Dr Ashutosh sahab apki zarranawazi ke liye .............. Is Gazal Me Radeef Aap Hai Aayenge Nahi , AuR Qafiya Hai AAYEN{GE} , JAYEN{GE} , PACHTAYEN{GE} ...............matlab Harf-e-ravi ke taur pe GE istemaal ho raha hai 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2013 at 2:36pm

बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई ..अपनी जानकारी के लिए जानना चाहता हों ..अपने इसमें आयेंगे को बतौर रदीफ़ चुना है तो अंतिम शेर में काफिया क्या है ..मैं आपकी ग़ज़ल में काफिये के बारे में जानना चाह रहा हूँ ..मुझे समझने में असुबिधा हो रही है ..आप थोडा स्पष्ट करेंगे तो मेरी भ्रान्ति का निवारण होगा ..सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:45pm

आदरणीय बिस्मिल साहिब बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Ayub Khan "BismiL" on December 8, 2013 at 7:55pm
Comment by Ayub Khan "BismiL" on December 8, 2013 at 7:52pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब Abhinav Arun sB. ,डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव sb. शिज्जु शकूर sahab 

Comment by Abhinav Arun on December 8, 2013 at 5:35am

क्या कहने वाह ..खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बिस्मिल जी को हार्दिक बधाई !!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 11:18pm

बिस्मिल जी

आपने तो भाई लाजवाब कर दिया i शुरू से ही छा  गए भाई i

मुबारक हो i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 7, 2013 at 11:01pm

आदरणीय अय्यूब भाई,  सुन्दर गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ !!!!

आदरणीय -  क़द्र जब होगी मुहब्बत कि बड़ा पछतायेंगे आप - इस मिसरे की तक्तीअ फिर से करके देख लें !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 7, 2013 at 8:12pm

भाई अय्यूब जी अच्छी ग़ज़ल है दाद कुबूल फरमायें

Comment by Ayub Khan "BismiL" on December 7, 2013 at 7:52pm

bahut shukria Meena Pathak Sahiba 

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